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इस ‘सुनहरे’ दौर में!

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धारणा बनी है कि यह विश्व क्रिकेट पर भारत के दबदबे का दौर है। लेकिन इस दौर की एक दूसरी कथा भी है। इस बरसात में शहरों में ढहते इन्फ्रास्ट्रक्चर के जैसे दर्शन हुए हैं, क्रिकेट में भी वही कहानी अब नजर आ रही है।

क्रिकेट प्रबंधन पर यह भारत के वर्चस्व का दौर है। बोलचाल में यह जुमला आम है कि विश्व क्रिकेट को भारत ही चला रहा है। आईपीएल और अन्य क्रिकेट आयोजनों से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को इतनी अधिक आमदनी होती है कि इस धन के बूते वह बाकी तमाम देशों से अपनी बात मनवाने में सफल रहता है। कुछ समय पहले ही बीसीसीआई के सचिव जय अमितभाई शाह इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष चुने गए हैं। इसके साथ ही वे एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं। जय शाह ने अपने कार्यकाल में खिलाड़ियों को मालामाल करने में बड़ी भूमिका निभाई है। भारतीय पुरुष और महिला टीमों की हर जीत पर हाथ खोल कर उन्होंने इनाम दिए हैं।

इन सबसे यह धारणा बनना लाजिमी है कि यह विश्व क्रिकेट पर भारत के दबदबे का दौर है। लेकिन इसी दौर की एक दूसरी कथा भी है। बीते शुक्रवार से कानपुर के ऐतिहासिक ग्रीन पार्क स्टेडिम में भारत-बांग्लादेश के बीच टेस्ट मैच शुरू हुआ। पहले तीन दिन में सिर्फ 35 ओवरों का खेल हो सका। वजहः मैदान गीला होना। रविवार को बिल्कुल बारिश नहीं हुई, फिर भी खेल नहीं हुआ। वजहः मैदान में ड्रेनेज की व्यवस्था ना होना, जिससे गीलापन बना रहा। इसके पहले इसी महीने ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मैच में एक ओवर भी नहीं फेंका जा सका। चूंकि अफगानिस्तान में खेलकूद के हालात नहीं हैं, तो उसने अपना होम ग्राउंड भारत को बनाया है।

इसके लिए भारत ने ग्रेटर नोएडा में शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स स्टेडियम को आवंटित किया था। खबरों के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम के अभाव और खराब आउटफील्ड के कारण अंतिम तीन दिन में बारिश थमी रहने के बावजूद खेल नहीं हुआ। कई स्टेडियमों में पिच की क्वालिटी के सवाल इन दिनों अक्सर उठ रहे हैं। तो यह क्रिकेट इन्फ्रास्ट्रक्चर का हाल है। हाल ठीक वैसा ही है, जैसा आम इन्फ्रास्ट्रक्चर का है। इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के शोर के बीच जिस तरह “क्रम्बलिंग इंडिया” के दर्शन इस बरसात में एक के बाद दूसरे शहरों में हुए हैं, क्रिकेट में भी वही कहानी अब नजर आने लगी है।

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