रिजल्ट की आखिरी तारीख 30 जून तक सीयूएटी-यूजी का परिणाम घोषित नहीं हुआ। इस परीक्षा को संपन्न कराने की जिम्मेदारी भी एनटीए के पास ही है। इस देर से विश्वविद्यालयों की पाठ्यक्रम समयसारणी में देर की गंभीर आशंका पैदा हो गई है।
नीट को लेकर गहराते संशय और छात्रों के भविष्य को लेकर जारी ऊहापोह के बीच अब कॉमन यूनिवर्सिटी टेस्ट फॉर अंडरग्रैजुएट एडमिशन्स (सीयूएटी-यूजी) से संबंधित आशंकाएं भी सच हो रही हैं। रिजल्ट की आखिरी तारीख 30 जून तक सीयूएटी-यूजी का परिणाम घोषित नहीं हुआ। इस परीक्षा को संपन्न कराने की जिम्मेदारी भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के पास ही है। इस देर से विश्वविद्यालयों की पाठ्यक्रम समयसारणी में देर की गंभीर स्थिति बन गई है। खास कर इससे केंद्रीय विश्वविद्यालयों का पाठ्य-क्रम प्रभावित होगा। स्पष्टतः पूरी उच्च शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद हिलती नजर आने लगी है। एनटीए की तरफ से आयोजित होने वाली परीक्षाओं के टलने या आयोजित हो चुकी परीक्षाओं में गड़बड़ियों का दायरा इतना अधिक फैल गया है कि करोड़ों छात्र और अभिभावक खुद को अधर में लटका महसूस कर रहे हैं। उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इतनी बड़ी समस्या खड़ी होने के बावजूद इसके लिए जवाबदेह लोगों की पहचान करने और उनका उत्तरदायित्व तय करने के लिए अपेक्षित चुस्ती सरकार की तरफ से नहीं दिखाई गई है।
इसका दीर्घकालिक दुष्प्रभाव शिक्षा व्यवस्था की साख पर पड़ सकता है। बेशक समस्या का एक कारण पूरे देश की शिक्षा के संचालन को केंद्रीकृत करने की सोच है। भारत जैसे विभिन्नतापूर्ण देश में यह सोच अपने-आप में समस्याग्रस्त है। मगर इस बहस को छोड़ भी दें, तब भी यह तो जाहिर हो गया है कि सारे देश में दाखिला प्रक्रिया और पाठ्यक्रम का एक जगह से कुशल एवं ईमानदार प्रबंधन का तंत्र फिलहाल केंद्र के पास नहीं है। इसका खामियाजा देश भर के छात्रों को उठाना पड़ रहा है। इसी बीच यह खबर भी आई है कि एनसीईआरटी नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा के स्वरूप में बुनियादी बदलाव की तैयारी में है। इसके तहत अब जोर आगे की परीक्षाओं की तैयारी, समय प्रबंधन का कौशल सिखाने, और धन का महत्त्व समझाने पर दिया जाएगा। आशंका है कि इस प्रयास में स्कूली शिक्षा जिज्ञासा जगाने और अवधारणात्मक अंतर्ज्ञान विकसित के अपने मूलभूत उद्देश्य से भटक सकती है। अंदेशा यह है कि व्यापक आम-सहमति बनाए बगैर यह बड़ा बदलाव भी लागू कर दिया जाएगा।