दुनिया के 72 प्रतिशत कंप्यूटर सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट विंडोज से संचालित हैँ। माइक्रोसॉफ्ट ने इन सिस्टम्स की सुरक्षा का काम क्राउडस्ट्राइक जैसी कंपनियों को आउटसोर्स कर रखा है। जाहिर है, शेयर बाजार में वैल्यू बढ़ाने की कंपनियों की रणनीति के तहत किया जाता है।
पिछले हफ्ते माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से संचालित कंप्यूटर सिस्टम्स के अवरुद्ध होने से कितना नुकसान हुआ, इसका आकलन धीरे-धीरे सामने आ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में 85 लाख कंप्यूटर मशीनों पर असर पड़ा, जिससे लगभग 3,300 उड़ानों को रद्द करना पड़ा, अस्पताल, वित्तीय संस्थानों और अनेक तरह के दूसरे दफ्तरों में काम रुका तथा कंपनियों के पे-रोल सिस्टम प्रभावित हुए। मुमकिन है कि इस कारण हजारों कर्मचारियों को इस बार समय पर वेतन ना मिल पाए। इसके अलावा कंपनियों और पर्सनल यूजर्स के सामने प्रभावित हुए कंप्यूटरों को रीबूट करवाने की समस्या है। यानी अरबों डॉलर की क्षति हुई है। यह सब कुछ इसलिए हुआ, क्यों क्राइडस्ट्राइक नामक एक अनजान की कंपनी से एक एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करने में गलती हो गई। अमेरिका में टेक्सस स्थित यह कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के 24 हजार से ज्यादा ग्राहकों को साइबर सुरक्षा संबंधी सेवाएं देती है। दुनिया के 72 प्रतिशत कंप्यूटर सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट विंडोज से संचालित हैँ। इस कंपनी ने इन सिस्टम्स की सुरक्षा का काम क्राउडस्ट्राइक जैसी कंपनियों को आउटसोर्स कर रखा है। जाहिर है, ऐसा लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने तथा उसके आधार पर शेयर बाजार में वैल्यू बढ़ाने की कंपनी की रणनीति के तहत किया जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक जिन अपेक्षाकृत छोटी कंपनियों को सेवाएं आउटसोर्स की गई हैं, वे अपडेट से पहले जरूरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) नहीं करतीं। उनका ध्यान भी न्यूनतम लागत पर काम करने पर रहता है। बल्कि आरोप तो यहां तक है कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने यहां भी आरएंडडी की उपेक्षा कर रखी है, जिस कारण उसके सिस्टम अपेक्षित ढंग से विकसित नहीं हुए हैं। चूंकि इस कंपनी के ऑपरेटिंग सिस्टम की विश्व बाजार पर मोनोपॉली है, इसलिए यूजर विकल्पहीन बने रहे हैं। दरअसल, यह कहानी सिर्फ ऑपरेटिंग सिस्टम या टेक्नोलॉजी सेक्टर की नहीं है। शेयर बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था में इसी चलन के कारण बोईंग जैसी अनेक कंपनियों की बाजार साख सवालों के घेरे में है। अब इसमें माइक्रोसॉफ्ट का नाम ऊपर आ गया है। इस समस्या का क्या समाधान है? इस सवाल को अब दुनिया भर में प्राथमिकता देने की जरूरत है।