भारत ना सिर्फ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहेगा, बल्कि सबसे तेजी से अति धनी लोगों की संख्या भी यहीं बढ़ेगी। दरअसल, इन दोनों ही परिघटनाओं में गहरा संबंध है। यह बात रिपोर्ट तैयार करने वाले अध्ययनकर्ताओं ने भी कही है।
एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अति धनी व्यक्तियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अगले चार साल में इस तादाद में और भी ज्यादा तेज रफ्तार से बढ़ोतरी होगी। बड़ी तस्वीर तो यह है कि यह वृद्धि दुनिया में सबसे तेज दर से होगी। इस तरह भारत दुनिया में अति धनवान व्यक्तियों की संख्या में सबसे तेज वृद्धि दर दर्ज करने वाला देश बन जाएगा। भारत से जो देश पीछे छूट जाएंगे, उनमें चीन भी शामिल है। भारत में यह दर 50.1 प्रतिशत रहेगी, जबकि चीन में 47 फीसदी।
स्पष्टतः भारत ना सिर्फ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहेगा, बल्कि सबसे तेजी से अति धनी लोगों की संख्या भी यहीं बढ़ेगी। दरअसल, इन दोनों ही परिघटनाओं में गहरा संबंध है। यह बात नाइट फ्रैंक संस्था के अध्ययनकर्ताओं ने भी कही है, जिनकी ताजा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के अति धनवान लोगों के शौक क्या हैं। रिपोर्ट में अति धनवान उन लोगों को माना गया है, जिनके पास तीन करोड़ डॉलर- यानी लगभग सवा दो सौ करोड़ रुपये- से अधिक की संपत्ति है।
अब यह देखना दिलचस्प है कि इन लोगों की पसंद क्या है। बताया गया है कि पिछले वर्ष लग्जरी घड़ियों, कलाकृतियों और जेवरात पर इन लोगों के खर्च में क्रमशः 138, 105 और 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यानी संकेत यह है कि ये लोग किसी उत्पादक कार्य में धन लगाने के बजाय विलासिता पर अधिक खर्च कर रहे हैं।
तो अनुमान लगाया जा सकता है कि इनकी आमदनी का प्रमुख स्रोत शेयर-बॉन्ड-ऋण बाजार-वायदा कारोबार आदि यानी वित्तीय संपत्तियों में निवेश है। यह एक चक्र है। इनके निवेश से ये बाजार चमकते हैं और फिर उससे इन लोगों को होने वाले लाभ में बढ़ोतरी होती है। ये सारी बढ़ोतरी देश के जीडीपी में भी गिनी जाती है। तो कहा जा सकता है कि आम अर्थव्यवस्था के समानांतर जो एक वित्तीय अर्थव्यवस्था खड़ी हुई है, देश के धनी-मानी लोग उसका आधार हैं और उससे लाभान्वित भी। जबकि देश की बहुंसख्यक आबादी इस सारी चमक से बाहर बनी हुई है। यही आज के भारत की हकीकत है।