carbon emissions increase: भारत अब दुनिया प्रति वर्ष सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन गया है। भारत का उत्सर्जन चीन की तुलना में 22 गुना तेजी से बढ़ रहा है। इस वर्ष भारत के उत्सर्जन में 4.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है।
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित देश के कई इलाकों में स्माग ने खतरनाक रूप अपना रखा है। अब यह हर साल की कहानी हो गई है- इस सीजन में धुंध और हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों से बना स्मॉग वातावरण पर छा जाता है।
जब यह हो जाता (या होने लगता) है, तब सरकारें और न्यायपालिका सब सक्रिय होती हैं। जब माहौल गुजर जाता है, तो सब भूल जाते हैं। इस सीजन में खासकर पंजाब के किसानों को खूब कोसा जाता है।
उनके पराली जलाने को राजधानी वासियों की मुसीबत का मुख्य कारण बताकर समस्या की असल वजहों को चर्चा से बाहर रखने में कामयाबी पा ली जाती है।
मगर अजरबैजान के बाकू में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मौके पर जारी दो रिपोर्टों पर ध्यान दीजिए। एक रिपोर्ट ग्लोबल कार्बन बजट प्रोजेक्ट नाम की संस्था है और दूसरी अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) की।
दोनों में शामिल आंकड़ों का निष्कर्ष है कि भारत अब दुनिया प्रति वर्ष सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन गया है। भारत का उत्सर्जन चीन की तुलना में 22 गुना तेजी से बढ़ रहा है। इस वर्ष भारत के उत्सर्जन में 4.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है।
चीन में वृद्धि महज 0.2 प्रतिशत रहेगी, जबकि अमेरिका में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी। पूरे विश्व के उत्सर्जन में 1.1 फीसदी बढ़ोतरी होगी।
सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में भारत में बढ़ोतरी 6.5 प्रतिशत और चीन में 4.5 प्रतिशत रहेगी। भारत में इस साल पेट्रोलियम की मांग 280 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। चीन के लिए यह आंकड़ा 90 प्रतिशत और अमेरिका के लिए 40 प्रतिशत है।
तात्पर्य यह कि भारत में जलवायु का बिना कोई ख्याल किए कार्बन उत्सर्जन को अनियंत्रित बनाए रखा जा रहा है। पिछले दस साल में पर्यावरण मानदंडों के पालन संबंधी नियमों में जिस तेजी से ढील दी गई है, उस पर गौर करें, तो ये बात और साफ हो जाती है।
स्पष्टतः अपने देश में यह समझ बनाने का कोई प्रयास नहीं है कि पर्यावरण रक्षा अपने लिए है, ना कि यह दुनिया पर कोई एहसान है।