राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

देर से दुरुस्त फैसला

Supreme court on bulldozer actionImage Source: ANI

सुप्रीम कोर्ट ने उचित व्यवस्था दी है कि भले ही कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए दंडित हो चुका हो, लेकिन उसकी वैध संपत्ति को नहीं तोड़ा जा सकता। अवैध संपत्तियों के मामले में भी तय प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार ‘बुल्डोजर न्याय’ पर दुरुस्त फैसला दिया है। यह निर्णय भारत के संवैधानिक भावना एवं प्रावधानों के अनुरूप है। अच्छी बात यह है कि कोर्ट ने ऐसी कार्रवाइयों पर जवाबदेह किसे माना जाएगा, यह भी स्पष्ट किया है। इसके बावजूद यह कहा जाएगा कि ये निर्णय देने में अदालत ने देर की, जिस कारण सैकड़ों लोग वैसी कार्रवाइयों का शिकार हुए हैं, जिन्हें अब सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक ठहराया है। इसे फैसले का अधूरापन कहा जाएगा कि जो लोग ऐसी कार्रवाइयों को शिकार हुए, उन्हें इंसाफ दिलाने की कोई पहल इस निर्णय में नहीं है। यानी कोर्ट ने जो हो चुका, उसे वहीं छोड़ आगे देखने का नजरिया अपनाया है। इससे बहुत से लोगों को मायूसी होगी।

फिर भी न्यायालय ने जो कहा है, उस पर गंभीरता से पालन हुआ, तो भविष्य में बहुत से लोग ऐसी कार्रवाइयों से बच जाएंगे, यह उम्मीद की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उचित व्यवस्था दी है कि भले ही कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए दंडित हो चुका हो, लेकिन उसकी वैध संपत्ति को नहीं तोड़ा जा सकता। अवैध संपत्तियों के मामले में भी तय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि व्यक्ति दोषी पाया गया हो, तब भी प्रशासन कानून अपने हाथ में ले कर उसे असंवैधानिक दंड नहीं दे सकता। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि किसी का घर तोड़ देना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को मिले आश्रय के अधिकार का उल्लंघन है।

यह किसी एक व्यक्ति के जुर्म के लिए पूरे परिवार को सजा देने जैसा है, जिसे सामूहिक दंड की श्रेणी में रखा जाएगा, जबकि भारतीय संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। न्यायालय ने आदेश दिया कि मनमाने ढंग से मकान गिराने वाले अधिकारियों को इस कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और मुआवजे समेत अन्य उपायों के जरिए उनकी जवाबदेही तय की जाए। अवैध संपत्तियों को गिराने के मामलों में पीठ ने 12-सूत्रीय दिशा निर्देश दिए हैं। ‘बुल्डोजर न्याय’ के चलन ने कानून के राज की धज्जियां उड़ा रखी हैं। आशा है, अब इस पर लगाम लगेगी।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *