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भरोसा बना नहीं है

budget 2025Image Source: ANI

budget 2025: आय कर छूट से एफएमसीजी कंपनियां आश्वस्त नहीं दिखतीं। उनके अधिकारियों ने कहा है कि इसका असर देखने के लिए वे दम साधे इंतजार कर रहे हैं। बचत का आधा हिस्सा भी नई खरीदारियों पर खर्च हो, तो ये कंपनियां राहत महसूस करेंगी।

केंद्र ने अगले साल के बजट में उपभोग बढ़ाने के लिए आय कर टैक्स में बड़ी छूट दी है, मगर एफएमसीजी कंपनियां इससे आश्वस्त नहीं दिखतीं।

उनके अधिकारियों ने कहा है कि इस कदम का क्या असर होगा, इसे देखने के लिए वे दम साधे इंतजार कर रहे हैं।

आय कर घटने से जो बचत होगी, परिवार उसका आधा हिस्सा भी नई खरीदारियों पर खर्च करें, तो उससे इन कंपनियों को राहत मिलेगी।(budget 2025)

इन अधिकारियों के मुताबिक असल चिंता जारी महंगाई की है। महंगाई नियंत्रित नहीं हुई, तो बचा सारा पैसा पुराने कर्ज चुकाने और अत्यंत आवश्यक वस्तुओं ये सेवाओं पर खर्च जाएगा।

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आर्थिक वृद्धि दर धीमी(budget 2025)

उपभोग बाजार में तेजी दरअसल तभी आ सकेगी, जब संगठित क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों के वेतन मुद्रास्फीति की दर के अनुरूप बढ़ाएं और नई भर्तियां करें।

संसद में पेश हालिया आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक कंपनियों ने ऐसा करने के बजाय लागत घटाने पर अधिक ध्यान दिया है। नतीजतन, 2024 में कंपनियों का मुनाफा 22.3 फीसदी बढ़ा, लेकिन रोजगार में मात्र 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

सर्वेक्षण रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वेतन में पर्याप्त बढ़ोतरी ना होने से मांग में कमी आ सकती है और आर्थिक वृद्धि दर धीमी हो सकती है। दरअसल, ऐसा होने भी लगा है।(budget 2025)

अर्थशास्त्र की सामान्य समझ यह बताती है कि जब रोजगार नहीं बढ़ता या कंपनियां अपने कर्मचारियों को कम वेतन देती हैं, तो उससे उन्हें तात्कालिक बचत होती है, लेकिन बाजार सिकुड़ने के कारण उन्हें भी भविष्य में इसका नुकसान उठाना पड़ता है।

आज भारत इस मुकाम पर(budget 2025)

इसके अन्य परिणाम भी सामने आते हैं। इससे गैर-बराबरी बढ़ती है। उधर कंपनियां अधिक धनी होते हुए विभिन्न क्षेत्रों में एकाधिकार कायम करने लगती हैं।

उस हाल में कीमत निर्धारित करने की उनकी क्षमता बढ़ जाती है। आज भारत इस मुकाम पर है। ताजा आर्थिक सर्वे और बजट इस बात का प्रमाण है कि सरकार भी इस समस्या के प्रति जागी है।(budget 2025)

लेकिन ऐसा करते-करते उसने बहुत देर कर दी है। इस बीच देश उपरोक्त आर्थिक दुश्चक्र में फंस चुका है। यही कारण है कि सरकार के हालिया कदम के बावजूद एफएमसीजी कंपनियां उत्साहित नहीं दिख रहीं।

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By NI Editorial

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