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कजान में क्या हासिल

BRICS Summit at KazanImage Source: ANI

BRICS Summit at Kazan: शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देश अपना एक स्वतंत्र सेटलमेंट एवं डिपॉजिट ढांचा बनाने की संभावना का अध्ययन करने के लिए सहमत हुए हैँ। ब्रिक्स क्लीयर नाम की ये पहल मौजूदा वित्तीय बाजार ढांचे के पूरक के रूप में काम करेगी।

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शिखर सम्मेलन की कुछ खास उपलब्धियां

ब्रिक्स प्लस के कजान शिखर सम्मेलन की कुछ खास उपलब्धियां जरूर हैं। ये प्रमुख रूप से वित्तीय एवं आर्थिक क्षेत्र में हैं। पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में हुए शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ने सीमापार भुगतान का सिस्टम बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। कजान में इस दिशा में हुई प्रगति जाहिर हुई। सभी नौ सदस्य देश सहमत हुए कि वे अपने बैंकिंग नेटवर्क्स को और सशक्त बनाने का प्रयास करेंगे, ताकि वे ब्रिक्स सीमापार भुगतान पहल (बीसीबीपीआई) के तहत अपनी-अपनी मुद्राओं के जरिए भुगतान में सक्षम हो सकें। शिखर सम्मेलन के दौरान जारी साझा घोषणापत्र में कहा गया- ‘हम ब्रिक्स देशों के बीच एक स्वतंत्र सेटलमेंट एवं डिपॉजिट ढांचा बनाने की संभावना का अध्ययन करने के लिए सहमत हुए हैँ। ब्रिक्स क्लीयर नाम की ये पहल मौजूदा वित्तीय बाजार ढांचे के पूरक के रूप में काम करेगी।

ब्रिक्स देश एक बीमा कंपनी बनाने पर राजी

अपनी एक बीमा कंपनी बनाने पर ब्रिक्स देश भी राजी हुए हैं, हालांकि इसमें भागीदारी स्वैच्छिक आधार पर होगी। कुछ देशों के बीच आपसी मुद्राओं में भुगतान की द्विपक्षीय प्रणाली पहले से अस्तित्व में है, इसलिए इसे बहुपक्षीय बनाना संभव है। बात सिर्फ इच्छाशक्ति की है, जिसका इजहार सदस्य देशों ने कजान में किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी संदर्भ में भारत में यूपीआई सिस्टम की कामयाबी का जिक्र किया। उन्होंने पेशकश की कि बाकी देश चाहें, तो इसे अपना सकते हैँ।

ब्रिक्स प्लस के सामने एक दूसरा मुद्दा नए देशों को सदस्यता देने का था। चूंकि पिछले शिखर सम्मेलन में इस संबंध में हुए फैसले का अनुभव अच्छा नहीं रहा, इसलिए इस बार किसी देश को पूर्ण सदस्यता देने के बजाय 13 देशों को पार्टनर देश का दर्जा देकर इस मंच से जोड़ा गया है। लेकिन इस सिलसिले में ब्रिक्स के अंदर मौजूद आपसी मतभेद भी जाहिर हुए। चर्चा है कि लैटिन अमेरिका के दो देशों के नाम पर ब्राजील ने सहमति नहीं दी, वहीं दक्षिण एशिया के एक देश की सदस्यता भारत ने रोक दी। जबकि रूस ने सार्वजनिक रूप से उन तीनों देशों की सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया था। जाहिर है, ब्रिक्स प्लस के अंदर पूर्ण समन्वय का अभी भी अभाव है।

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