देश के अंदर सियासी तू तू-मैं मैं दीगर पहलू है, मगर जिस अमेरिका के साथ भारत का निकट संबंध बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है, उसी पर अब इतना गंभीर इल्जाम सत्ताधारी भाजपा ने लगा दिया है।
भाजपा सत्ताधारी पार्टी है। उसे यह ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि वह जो बोलती है, उससे भारत सरकार की राय से जोड़ कर देखा जाएगा। देश के अंदर सियासी चर्चा का स्तर इतना गिर चुका है कि अब कौन, क्या बोलता है, उस पर ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत महसूस नहीं होती। लेकिन जो बातें भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं, उन मामलों में अपेक्षा अवश्य रहती है कि सत्ताधारी दल के नेता जिम्मेदारी से बोलेंगे। वे ख्याल रखेंगे कि उनकी बातों का दूरगामी प्रभाव हो सकता है। इसीलिए भाजपा ने जिस तरह अब अमेरिका के विदेश मंत्रालय और ‘डीप स्टेट’ पर निशाना साधा है, उससे व्यग्रता पैदा होती है।
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पार्टी के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय और ‘डीप स्टेट’ के कुछ तत्व कुछ खोजी पत्रकारों और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ मिल कर भारत को अस्थिर करने में जुटे हुए हैं। ताजा संदर्भ अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में दायर मुकदमे का है, जिससे पार्टी ने पत्रकारों के समूह ऑर्गनाइडज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की इस समूह के बारे में कुछ समय पहले आई रिपोर्ट को जोड़ दिया है। चूंकि कांग्रेस, खास कर राहुल गांधी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की है, तो भाजपा ने इसका जवाब इस ताजा हमले के साथ दिया है।
स्पष्टतः आरोप का पूरा आधार परिस्थितिजन्य है। एक से दूसरे तार को जोड़ते हुए भाजपा इस नतीजे पर पहुंच गई है कि भारत को अस्थिर करने की बड़ी साजिश रची गई है और “उच्चतम स्तर के देशद्रोही” (यह आरोप संसद में लगाया गया) राहुल गांधी उसका हिस्सा बन गए हैँ। देश के अंदर सियासी तू तू-मैं मैं दीगर पहलू है, मगर जिस अमेरिका के साथ भारत का निकट संबंध बनाना मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है, उसी पर अब इतना गंभीर इल्जाम सत्ताधारी पार्टी ने लगा दिया है। यह आरोप इतना गंभीर है कि भाजपा से यह मांग जरूर की जाएगी कि वह साजिश के बारे में ठोस सबूत देश को बताए। वरना, इससे अंतरराष्ट्रीय दायरे में भारत को जो नुकसान होगा, उसकी पूरी जवाबदेही भाजपा की ही होगी।