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निष्पक्ष दिखना जरूरी है

amazon flipkart violation caseImage Source: ANI

amazon flipkart violation case: देश के कानून का उल्लंघन करने वाली कंपनी को अवश्य ही दंडित किया जाना चाहिए। बहरहाल, ऐसे कदम उठाते समय जांच एजेंसियों को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ना सिर्फ निष्पक्ष रहें, बल्कि निष्पक्ष दिखें भी।

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ई-कॉमर्स क्षेत्र की फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियों ने भारतीय कानून को तोड़ा हो, तो बेशक उन पर प्रावधान के अनुरूप सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

ये दोनों अमेरिकी स्वामित्व वाली कंपनियां हैं (फ्लिपकार्ट में लगभग तीन चौथाई हिस्सा वॉलमार्ट का है)। भारत के ई-कॉमर्स बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा उनके पास ही है।

एक अनुमान के मुताबिक 70 बिलियन डॉलर के इस बाजार में फ्लिपकार्ट का हिस्सा 32 और अमेजन का 24 फीसदी है।

खबर है कि प्रवर्तन निदेशालय ने इनके विक्रताओं पर छापा मारा। उसके बाद इन कंपनियों के अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

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विदेशी निवेश संबंधी कानून का उल्लंघन

आरोप है कि इन कंपनियों ने विदेशी निवेश संबंधी कानून का उल्लंघन किया। इस कानून के तहत विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां विक्रेताओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकतीं।

साथ ही ये विक्रेताओं से सामान खरीद कर अपना भंडार नहीं बना सकतीं। अमेजन और फ्लिपकार्ट का कहना है कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। मगर ईडी का दावा है कि उसके पास इन कंपनियों के खिलाफ ठोस सबूत हैं।

निर्विवाद है कि हर कंपनी- चाहे वो देशी हो या विदेशी- उसे सख्ती से देश के कानून का पालन करना चाहिए। कोई कंपनी ऐसा नहीं करती, तो उसे अवश्य ही दंडित किया जाना चाहिए। बहरहाल, जांच एजेंसियों को ऐसे कदम उठाते समय यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ना सिर्फ निष्पक्ष हों, बल्कि निष्पक्ष दिखें भी।

इस संदर्भ में यह बात इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि गुजरे वर्षों में ऐसी धारणा (जो संभव है कि निराधार हो) बनी है कि भारत सरकार के कुछ पसंदीदा उद्योग घराने हैं और जब उनके हित किसी विदेशी (या देशी) कंपनी से टकराते हैं, तो जांच एजेंसियां अति सक्रिय हो जाती हैं।

अतीत में वर्तमान सरकार से ही जुड़े रहे कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस धारणा को भारत में विदेशी निवेश के रास्ते में मौजूदा रुकावटों में एक बताया है।

यह समय अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए प्रतिकूल है। इस वर्ष भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारी गिरावट आई है। इस हाल में उपरोक्त धारणा को तोड़ना अत्यधिक आवश्यक हो गया है। आशा है, ईडी इस अपेक्षा के प्रति जागरूक होगी।

By NI Editorial

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