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चुनाव में चर्चा नहीं

देश में आम चुनाव का माहौल है। अनगिनत गारंटियां जनता के सामने रख रही हैं। लेकिन इनमें स्वच्छ वातावरण किसी पार्टी की प्राथमिकता नहीं है, जबकि प्रदूषण रिकॉर्ड तोड़ रहा है। भारत दुनिया के सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले तीन देशों में टाप पर है।

नई दिल्ली फिर दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी बन गया है। बिहार के बेगूसराय को दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित स्थान घोषित किया गया है। इनके अलावा भारत दुनिया के सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले तीन देशों में शामिल पाया गया है। बाकी दो देश पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं। ये तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्विट्जरलैंड की संस्था एक्यू एयर की रिपोर्ट से सामने आए हैं।

मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए वायु प्रदूषण के खतरे जग-जाहिर हैं। इस रूप में यह आम जन की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ी हुई समस्या है। हालात कितने गंभीर हैं, इस पर गौर कीजिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटा के मुताबिक भारत में 2023 में 2022 के मुकाबले वायु प्रदूषण और बढ़ गया। देश में पीएम-2.5 का स्तर संगठन के मानक से करीब 11 गुना ऊपर पाया गया। पीएम-2.5 हवा में मौजूद छोटे कण होते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के मुताबिक पीएम-2.5 का औसत सघनता पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

पिछले साल प्रदूषण किस तेजी से बढ़ा भी यह ध्यान देने योग्य है। 2022 में भारत आठवां सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश था। पाकिस्तान तब भी तीन सबसे खराब स्थिति वाले देशों में शामिल था। लेकिन 2023 में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिल कर दुनिया के तीन सबसे ज्यादा प्रदूषित देश रहे। ये रिपोर्ट उस समय आई है, जब भारत में आम चुनाव का माहौल है। पार्टियां विभिन्न मुद्दे उछाल रही हैं और अनगिनत गारंटियां जनता के सामने रख रही हैं। लेकिन इनमें स्वच्छ वातावरण किसी पार्टी की प्राथमिकता नहीं है।

संभवतः इसलिए कि इस मुद्दे से उन्हें वोट मिलने की उम्मीद नहीं होगी। इस पहलू का संबंध इस मुद्दे पर जागरूकता की स्थिति से है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। अपने देश में उन मसलों को लेकर जागरूकता का अभाव बना रहता है, जिनका सीधा रिश्ता लोगों की अपनी जिंदगी से होता है। जबकि भावनात्मक मुद्दों पर लोग भड़कते रहते हैं। नतीजा है कि राजनीतिक दलों के भी असल मुद्दे मायने नहीं रखते। और उसका परिणाम है कि हम दूषित वातावरण में जीने को मजबूर हैं।

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By NI Editorial

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