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डगमगाती विकासशील अर्थव्यवस्थाएं

जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में निर्यात का बड़ा योगदान रहा है, उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कारण है पश्चिम- खासकर यूरोपीय अर्थव्यवस्था में मंदी। यूरोप में आम लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं। उस स्थिति उनके बीच उपभोग और मांग घटना स्वाभाविक परिघटना है।

चीन की इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के आर्थिक आंकड़े अपेक्षा से कमजोर रहे। हालांकि अप्रैल-जून की अवधि में चीनी अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत बढ़ी, लेकिन यह वृद्धि पिछले साल के कमजोर आधार पर है। चीन में पिछला पूरा साल कोरोना प्रभावित रहा था, जिसका उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा। इस वर्ष सुधार के संकेत हैं, लेकिन उतना नहीं, जिसकी उम्मीद की गई थी। कुल मिला कर इस वर्ष के पहले छह महीनों चीनी अर्थव्यवस्था की वृद्धि 5.5 प्रतिशत रही। इसके पहले पिछले हफ्ते भारत के आयात-निर्यात के आंकड़े जारी हुए थे। सामने आया कि जून में भारत के निर्यात में 22 प्रतिशत की गिरावट आई। यह लगातार आठवां महीना रहा, जब भारत का निर्यात घटा। दूसरी तरफ आयात में 17 प्रतिशत की गिरावट आई। यह भारत की अंदरूनी अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्ता का एक संकेत है। दरअसल, बात चीन या भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं तक सीमित नहीं है। बल्कि बांग्लादेश जैसी अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्था से आ रही खबरें भी चिंताजनक है। गुजरे दो दशकों में आर्थिक चमत्कार की मिसाल बताए गए इस देश में आज हाल यह है कि उसका बहुचर्चित कपड़ा उद्योग संकटग्रस्त हो गया है। साइकिल के कई कारखाने बंद हो गए हैँ।

स्पष्ट है, जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में निर्यात का बड़ा योगदान रहा है, उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कारण है पश्चिमी- खासकर यूरोपीय अर्थव्यवस्था में मंदी। यूरोप में महंगाई और उद्योग धंधों के कारण आम जन का जीवन इतना मुश्किल हुआ है कि ताजा खबरों के मुताबिक लगभग सभी यूरोपीय देशों में आम लोगों को भोजन की मात्रा या गुणवत्ता में कटौती करनी पड़ रही है। उस स्थिति उनके बीच उपभोग और मांग घटना स्वाभाविक परिघटना है। इसका असर विकासशील देशों पर पड़ा है, जिन्होंने भूमंडलीकरण के तहत बने सप्लाई चेन में आम उपभोग की वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात की भूमिका लेकर अपनी अर्थव्यवस्था को खड़ा किया था। इस क्रम में चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था बन गया। लेकिन अब बदले माहौल में उसके लिए अपनी वृद्धि दर को बरकरार रखना संभव नहीं पा रहा है। यह असल में विश्व अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त होने का सूचक है।

By NI Editorial

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