राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

मुद्दा नाम परिवर्तन नहीं है

इस आरोप में दम है कि सरकार हर काम को सियासी ध्रुवीकरण के नजरिए से करती है। इसीलिए यह मुद्दा विवादित हो गया है। अविश्वास और आक्रोश पैदा करते हुए इतना बड़ा कदम उठाना किसी नजरिए से उचित नहीं है।

द्रौपदी मुर्मू और नरेंद्र मोदी ने अगर आधिकारिक रूप से खुद को क्रमशः भारत की राष्ट्रपति और भारत का प्रधानमंत्री कहलाना शुरू किया है, तो उसमें कोई असंवैधानिक बात नहीं है। भारतीय संविधान के मुताबिक इस देश के नाम के रूप में भारत और इंडिया दोनों या दोनों में से किसी एक शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर संविधान संशोधन कर आधिकारिक रूप से नाम बदलने की कोशिश की जाती है, तो उसमें कोई असाधारण बात नहीं होगी। विभिन्न देशों ने अपना नाम बदला है, जिनमें सबसे ताजा उदाहरण टर्की के तुर्किये बन जाने का है। अपने देश में भी शहरों और राज्यों तक के नाम बदलने की परंपरा रही है। अभी हाल में केरल ने अपना नाम केरलम कर लिया। इसके पहले बंबई, मद्रास, बैंगलोर क्रमशः मुंबई, चेन्नई और बंगलुरू हो ही चुके हैँ। यहां सिर्फ उन नाम परिवर्तनों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें राजनीतिक एवं सार्वजनिक आम सहमति से किया गया। अनेक नाम परिवर्तन ऐसे भी हुए हैं, जिन पर ऐसी सहमति बनाने की कोशिश नहीं की गई और इसलिए यह आरोप रहा है कि उन्हें ध्रुवीकरण की सियासत के हिस्से के रूप में अंजाम दिया गया। और यही पहलू देश के नाम के बारे में उठे विवाद का भी प्रमुख कारण है।

अगर वर्तमान केंद्र सरकार देश का नाम बदलना चाहती है, तो उसका सही तरीका पहले इस सवाल पर राष्ट्रीय बहस कराना और अधिकतम सहमति बनाना होना चाहिए। संविधान सभा ने अगर इंडिया और भारत दोनों नामों को अपनाया, तो इसका कारण वहां एक नाम पर सहमति ना बन पाना था। अब 75 साल बाद संभवतः ऐसा होने की संभावना अधिक मजबूत होगी। मगर समस्या यह है कि सहमति और संवाद के साथ आगे बढ़ना मौजूदा सरकार की शैली का हिस्सा नहीं है। बल्कि इस आरोप में दम है कि हर काम को वह सियासी ध्रुवीकरण के नजरिए से करती है। इसीलिए यह मुद्दा विवादित हो गया है। अविश्वास और आक्रोश पैदा करते हुए इतना बड़ा कदम उठाना किसी नजरिए से उचित नहीं है। अपेक्षित यह है कि सरकार लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप संवाद के साथ ही ऐसी कोई पहल करे।

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *