मॉब लीचिंग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिशा निर्देश जारी किए थे। मगर इसी महीने महाराष्ट्र में ऐसी दो घटनाएं हुई हैँ। अगर देश में मॉब लिंचिंग रुक नहीं रही है, तो इसके लिए कौन जवाबदेह है?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा संभवतः वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के बचाव में मीडिया के सामने आए और ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ नीतियों पर भारत सरकार को अपना बहुचर्चित- अथवा विवादास्पद- सुझाव दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकीय सम्मान देने के बाइडेन प्रशासन के फैसले से वहां के लिबरल खेमों और मीडिया में गहरी व्यग्रता देखी गई। इससे अपनी पार्टी की सरकार के लिए बनी असहज स्थिति के बीच ओबामा ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया। उसमें उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘देश के आर्थिक और सुरक्षा हित’ में हर तरह के नेताओं के साथ मिलना पड़ता है। तो स्पष्टतः जो बात चीन को घेरने की अपनी मजबूरी में मोदी से बाइडेन नहीं कह पाए, उसे कह कर ओबामा ने लिबरल खेमों को संतुष्ट करने की कोशिश की। लेकिन उनकी टिप्पणई भारत में गरम प्रतिक्रिया का मुद्दा बनी हुई है।
असम के मुख्यमंत्री से शुरू होकर देश के वित्त और रक्षा मंत्री तक ने अपनी पार्टी के शासन के बचाव की कोशिश में ओबामा को आईना दिखाने की कोशिश की है। इस सिलसिले में ओबामा प्रशासन के समय मुस्लिम देशों देशों पर की गई बमबारियों का जिक्र किया गया है। भाजपा नेताओं ने जो कहा है, वह तथ्य है। अपने दो कार्यकाल में बतौर राष्ट्रपति ओबामा का जो रिकॉर्ड रहा, उसकी वजह से ही उनकी छवि आधुनिक अमेरिकी इतिहास में सर्वाधिक विश्वास तोड़ने वाले नेता की बनी हुई है। इसके बावजूद यह कहना आवश्यक है कि ओबामा को आईना दिखाने से भारत में जो रहा है, वह ढक नहीं जाएगा। देश में मुस्लिम विरोधी माहौल बनाए रखा गया है, यह भी एक तथ्य है, जो इतिहास में दर्ज हो रहा है। इसी महीने महाराष्ट्र में गोमांस के नाम पर लोगों की पीट पीट कर हत्या कर देने के दो मामले सामने आए हैं। जबकि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिशा निर्देश जारी किए थे। उसके बावजूद अगर देश में मॉब लिंचिंग रुक नहीं रही है, तो इसके लिए कौन जवाबदेह है? इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट है। इसलिए उचित होगा कि भाजपा नेता कभी खुद भी आईना देख लें।