नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति (inflation) के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है। संसद (Parliament) में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा (Economic Survey) में कहा गया है कि 6.8 प्रतिशत की महंगाई दर का अनुमान इतना ज्यादा नहीं है कि निजी उपभोग को रोक सके न ही यह इतना कम है कि निवेश में कमी आए। समीक्षा में कहा गया, हालांकि लंबे समय तक खिंचने वाली महंगाई सख्ती के चक्र को लंबा कर सकती है। ऐसे में ऋण की लागत लंबे समय तक ऊंची रह सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आर्थिक समीक्षा 2022-23 को संसद में पेश किया। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) जनवरी, 2022 से 10 महीने तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहने के बाद पिछले साल नवंबर में घटकर इससे नीचे आई है। केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मौजूदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
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समीक्षा के अनुसार, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 में औसत महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था जो इसके लक्षित दायरे से ऊंची थी। हालांकि, यह दर इतनी ज्यादा नहीं है कि निजी खपत को रोक सके या इतनी कम भी नहीं है कि निवेश को कमजोर कर सके।
भारत की थोक व खुदरा महंगाई 2022 में ज्यादातर समय ऊंची रही, जिसका मुख्य कारण फरवरी, 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान रहा। रूस और यूक्रेन गेहूं, मक्का, सूरजमुखी के बीज और उर्वरकों जैसे जरूरी कृषि संबंधी उत्पादों के सबसे महत्वपूर्ण उत्पादकों में से एक हैं। (भाषा)