अगले सप्ताह केंद्रीय बजट 2024-25 की घोषणा की जाएगी, इसलिए भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों से नई सरकार की पहली बड़ी सार्वजनिक नीति घोषणा से उनकी अपेक्षाएँ साझा करने के लिए कहा गया। अर्थशास्त्रियों ने नीति में निरंतरता और सरकार द्वारा पहले से किए जा रहे सुधारों में और तेज़ी आने की उम्मीद जताई।
राजकोषीय प्रबंधन और व्यय के विषय पर, भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों ने उल्लेख किया कि सरकार ने राजकोषीय पक्ष पर एक कुशल काम किया है। उम्मीद है कि इस तरह की समझदारी जारी रहेगी क्योंकि वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, सरकार के पास मजबूत कर संग्रह और भारतीय रिजर्व बैंक के लाभांश हस्तांतरण से अतिरिक्त संसाधनों का लाभ उठाने का अवसर है।
इस राजकोषीय हेडरूम का उपयोग सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए। पूंजीगत व्यय पर, यह बताया गया कि लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है, लेकिन वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट में 11.1 लाख करोड़ रुपये की घोषणा में अधिक वृद्धि की उम्मीद नहीं है।
इसमें भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कराधान के पक्ष में कुछ सुधारों की उम्मीद जतायी है। व्यय योग्य आय को बढ़ावा देने और विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के लिए उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए कर दरों में संभावित संशोधन की उम्मीद है।
इसके अलावा, यह सुझाव दिया गया कि धारा 80 सी और इसी तरह के प्रावधानों के तहत सीमा बढ़ाने से दीर्घकालिक बचत और निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था का सरलीकरण और जीएसटी स्लैब को सुव्यवस्थित करने की दिशा में मार्गदर्शन करने वाला ढांचा भी अपेक्षित है।
अर्थशास्त्रियों ने संकेत दिया कि आगामी बजट में रोजगार को बढ़ावा देने और कार्यबल क्षमताओं को बढ़ाने के लिए व्यापक उपाय पेश किए जाने की उम्मीद है। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की घोषणा, मनरेगा के शहरी समकक्ष की शुरूआत, श्रम कौशल कार्यक्रमों और सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश में वृद्धि, और महिला श्रम शक्ति भागीदारी को बढ़ाने के लिए लक्षित नीतियों और सहायता प्रणालियों का कार्यान्वयन की उम्मीद की गयी है।
इस साल की शुरुआत में घोषित अंतरिम बजट ने नवाचार को प्रोत्साहित करने की स्पष्ट मंशा दिखाई और यह जारी रहने की उम्मीद है। प्रतिभागियों ने इसके प्रभावी उपयोग के लिए अंतरिम बजट में घोषित अनुसंधान एवं विकास और नवाचार निधि पर आगे के विवरण और तौर-तरीकों की अपेक्षा की है।
बजट में सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और हरित हाइड्रोजन उत्पादन और ऊर्जा संक्रमण समर्थन के लिए प्रोत्साहन मुख्य मांगें हैं। आगामी बजट में कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिए जाने की उम्मीद है।
अर्थशास्त्रियों ने कृषि सुधारों को लागू करने और दक्षता में सुधार करने के लिए राज्यों के लिए सुधार-संबंधी प्रोत्साहनों का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा; मौसम प्रतिरोधी फसलों को विकसित करने और जलवायु प्रभावों के खिलाफ अनुकूली उपायों को लागू करने के लिए समर्थन में वृद्धि; भंडारण बुनियादी ढांचे में सुधार के उपाय; और कृषि-आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए गैर-एमएसपी फसलों के लिए मूल्य पूर्वानुमान तंत्र की स्थापना प्रतिभागियों द्वारा साझा किए गए अन्य सुझाव/अपेक्षाएँ हैं।
बजट में औद्योगिक विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है। अधिक श्रम-गहन क्षेत्रों और घटक विनिर्माण को शामिल करने के लिए पीएलआई योजना की समीक्षा; घरेलू टैरिफ क्षेत्र में उदार भूमि और श्रम कानूनों के साथ बड़े एसईजेड जैसे समूहों का निर्माण; लचीलापन और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए श्रम कानून सुधारों में तेजी लाने की उम्मीद जतायी गयी है।
मजबूत सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण और दीर्घकालिक आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों पर सरकारी खर्च में वृद्धि को भी अर्थशास्त्रियों द्वारा प्राथमिकता के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और सरकार से इस पर ध्यान देने की उम्मीद की गयी है।