सीबीआई ने 34,000 करोड़ रुपये के दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHFL) बैंक धोखा(DHFLधड़ी जांच के संबंध में मंगलवार को धीरज वधावन को गिरफ्तार किया हैं।
यह मामला 17 बैंकों के कंसोर्टियम की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ हैं। और इसे भारत में सबसे बड़ा बैंकिंग ऋण धोखाधड़ी भी कहा जा रहा हैं।
इससे पहले 2022 में केंद्रीय एजेंसी ने पहले ही इस मामले में शामिल होने के लिए वधावन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था और इससे पहल वधावन को यस बैंक भ्रष्टाचार जांच में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। जिसके परिणामस्वरूप जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
22 लाख रुपये के लंबित बकाया की वसूली के लिए भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फरवरी 2021 में पूर्व डीएचएफएल प्रमोटरों धीरज और कपिल वधावन के बैंक खातों, शेयरों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को कुर्क करने का आदेश दिया गया था।
यह निर्णय वधावन बंधुओं द्वारा पिछले साल जुलाई में प्रकटीकरण मानदंडों का पालन न करने के कारण उन पर लगाए गए जुर्माने को चुकाने में विफल रहने के बाद लिया गया।
प्रत्येक वधावन पर 10.6 लाख रुपये का बकाया हैं। जिसमें प्रारंभिक जुर्माना, ब्याज और वसूली लागत भी शामिल हैं। जुलाई 2023 में सेबी ने तत्कालीन DHFL प्रमोटर्स (अब पीरामल फाइनेंस) वधावन बंधुओं के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था लेकिन यह जुर्माना प्रकटीकरण नियमों के अघोषित उल्लंघन के लिए लगाया गया था।
DHFL के साथ अपने कार्यकाल के दौरान, कपिल वधावन ने अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया। लेकिन धीरज वधावन एक गैर-कार्यकारी निदेशक थे और दोनों भाई DHFL के प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य भी थे।
पिछले शनिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिकित्सा के आधार पर धीरज वधावन की जमानत याचिका के जवाब में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया।
निचली अदालत द्वारा चिकित्सीय कारणों से जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद वधावन ने उच्च न्यायालय में भी अपील की थी। वर्तमान में वधावन रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के बाद अपने मुंबई स्थित आवास पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने शुक्रवार 17 मई को होने वाली सुनवाई में सीबीआई को जवाब देने का आदेश दिया हैं।
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