भारतीय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, सकल माल और सेवा कर (GST) संग्रह अप्रैल में 12.4 प्रतिशत बढ़कर 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से साल-दर-साल 13.4 प्रतिशत अधिक घरेलू लेनदेन के साथ-साथ अधिकारियों द्वारा उठाए गए चोरी-रोधी उपायों और ऑडिट की पृष्ठभूमि में उच्च अनुपालन से भी प्रेरित थी।
लगभग सात साल पहले जुलाई 2017 में लागू हुए अप्रत्यक्ष कर सुधार के बाद से यह GST संग्रह का सबसे उच्चतम स्तर हैं और पहली बार कुल संग्रहण 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा हैं। पिछला उच्चतम स्तर अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये दर्ज हुआ था। जो मार्च 2023 में साल के अंत की बिक्री को भी दर्शाता हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा हैं की अर्थव्यवस्था में मजबूत गति और कुशल कर संग्रह की बदौलत GST संग्रह 2 लाख करोड़ रुपये के बेंचमार्क को पार कर गया और उन्होंने यह भी कहा की एकीकृत जीएसटी के निपटान के कारण राज्यों का कोई बकाया नहीं हैं।
केंद्र को 50,307 करोड़ और राज्यों को 41,600 करोड़ की IGST राशि मंजूर कर दी गई हैं। 91,907 करोड़ का यह IGST निपटान, 87,494 करोड़ के वास्तविक शुद्ध IGST संग्रह से भी 4,413 करोड़ अधिक हैं। केंद्र सरकार द्वारा यह तय किया गया हैं की राज्यों को आईजीएसटी निपटान के कारण कोई बकाया नहीं हैं। सीतारमण द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया।
रिफंड के हिसाब के बाद अप्रैल में जीएसटी राजस्व 1.92 लाख करोड़ रुपये रहा। और जो पिछले वर्ष की इस अवधि से 15.5 प्रतिशत अधिक हैं। और सकल माल और सेवा कर (GST) संग्रह अप्रैल 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर भी पहुंच गया। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा की यह साल-दर-साल 12.4% की महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतिनिधित्व भी करता हैं। जो घरेलू लेनदेन (13.4% ऊपर) और आयात (8.3% ऊपर) में मजबूत वृद्धि से भी प्रेरित हैं।
पिछले महीने में रिफंड के प्रभाव को देखते हुए मार्च में जीएसटी राजस्व 18.4 प्रतिशत बढ़कर 1.65 लाख करोड़ रुपये हो गया। और सकल स्तर पर 11.5 प्रतिशत बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया था। पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए शुद्ध जीएसटी राजस्व 13.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 18.01 लाख करोड़ रुपये रहा।
अप्रैल के राज्य-वार आंकड़ों से यह पता चला हैं की 38 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने जीएसटी संग्रह में राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रतिशत की वृद्धि दर से भी अधिक वृद्धि दर्ज हुई हैं। पूर्ण रूप से, महाराष्ट्र 37,671 करोड़ रुपये के साथ शीर्ष पर था। इसके बाद कर्नाटक 15,978 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर था। गुजरात 13,301 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर था। उत्तर प्रदेश 12,290 करोड़ रुपये के साथ, तमिलनाडु 12,210 करोड़ रुपये और हरियाणा 12,168 करोड़ रुपये के साथ।
उत्तर-पूर्वी राज्यों में जीएसटी संग्रह में गिरावट दर्ज की गई हैं। जिसमें सिक्किम (-5 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश (-16 प्रतिशत), मेघालय (-2 प्रतिशत), और नागालैंड (-3 प्रतिशत), जम्मू और कश्मीर भी शामिल हैं। कश्मीर (-2 प्रतिशत), लक्षद्वीप (-57 प्रतिशत) और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (-30 प्रतिशत)।
भारतीय कर विशेषज्ञों ने कहा की केंद्रीय और राज्य जीएसटी अधिकारियों द्वारा आर्थिक गतिविधि और ऑडिट रिकॉर्ड-उच्च संग्रह में परिलक्षित हुए हैं। यह अब तक का सबसे अधिक संग्रह हैं, एक बड़ा उत्साह हैं और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था को दर्शाता हैं, विशेष रूप से इस तथ्य को देखते हुए कि आयात की तुलना में घरेलू लेनदेन की वृद्धि 13.4% हैं। जो कि 8.3% हैं। इस वृद्धि का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण जीएसटी ऑडिट की समय सीमा और इस वर्ष के दौरान जारी किए गए संबंधित नोटिस से भी जुड़ा हो सकता हैं।
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