Supreme Court

  • सुप्रीम कोर्ट किसानों की बात सुनने को तैयार

    नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पिछले 10 महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह उनकी बात सुनने को तैयार है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि किसान अगर उसकी बनाई कमेटी से बात करने को तैयार नहीं हैं तो वे सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकते हैं। अदालत ने बुधवार को कहा कि किसानों के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। वे सीधे अपने सुझाव या मांगें लेकर हमारे पास आ सकते हैं या अपना प्रतिनिधि भेज सकते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन...

  • मंदिर-मस्जिद मामले में बड़ा आदेश

    नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में जिला अदालतों द्वारा मस्जिदों, मजारों आदि के सर्वे के आदेश दिए जाने के बाद पैदा हुए विवादों पर सुप्रीम कोर्ट के बड़ा आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने सभी अदालतों को निर्देश दिया है कि वे इस तरह के मामलों में कोई भी आदेश जारी नहीं करें। अदालत ने सर्वे कराने के आदेश जारी करने पर भी रोक लगा दी। इसका मतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने सब कुछ अपने हाथ में ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मंदिर और मस्जिद से जुड़े विवादों के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने...

  • हाई कोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग?

    नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने महाभियोग लाने का ऐलान किया है। उन्होंने जज के बयान को देश तोड़ने वाला बताया है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के जज के बयान का संज्ञान लिया है और इलाहाबाद हाई कोर्ट से उनके बारे में रिपोर्ट मांगी है। असल में जस्टिस शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में कहा था कि यह देश बहुसंख्यकों की इच्छा से ही चलना चाहिए। राज्यसभा सांसद और देश के मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि वे जस्टिस शेखर ...

  • धर्मस्थल कानून पर विशेष बेंच सुनवाई करेगी

    नई दिल्ली। धर्मस्थल कानून, 1991 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष बेंच का गठन किया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना इस बेंच की अध्यक्षता करेंगे। उनके अलावा इसमें जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल किए गए हैं। यह बेंच 12 दिसंबर को दोपहर साढ़े तीन बजे सुनवाई करेगी। पहले पांच दिसंबर को ही यह सुनवाई होनी थी। उस दिन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच सुनवाई से पहले ही उठ गई थी। गौरतलब है कि यह कानून में सभी धर्मस्थलों...

  • कानून का ये हाल!

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • अदालतों का बोझ घटाना जरूरी

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • दिल्ली में पाबंदियां कम होंगी

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • दिल्ली में पाबंदियां जारी रहेंगी

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • जब तक ईवीम है तब तक मोदी हैं!

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • बैलेट से चुनाव कराने की याचिका खारिज

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को जारी किया नोटिस

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • ‘हम’ उसी राह पर: सुप्रीम कोर्ट की सफाई…!

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • देर से दुरुस्त फैसला

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • बुलडोजर ‘न्याय’ क्या रूकेगा?

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • मनमाने तरीके से नहीं चलेगा बुल़डोजर

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • अजित पवार की पार्टी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • बुलडोजर एक्शन को सुप्रीम कोर्ट ने बताया असंवैधानिक

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • सुप्रीम कोर्ट में अब तत्काल सुनवाई मुश्किल होगी

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

  • नाम बदलने से क्या आलोचना नहीं होगी?

    साल 2013 में जाकर यूपीए-2 की सरकार ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने का अधिनियम (संक्षेप में पॉश कानून) बनाया। लेकिन उस पर अमल का हाल क्या है, यह खुद सुप्रीम कोर्ट के ताजा दिशा-निर्देशों से जाहिर होता है। कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' के रूप में जाना जाता है। उन दिशा-निर्देशों की भावना के मुताबिक कानून बनाने में 15 साल लग गए। इस बीच कई सरकारें आईं और गईं। 2013 में जाकर यूपीए-2...

और लोड करें