social security

  • सामाजिक सुरक्षा की जगह रेवड़ी

    दुनिया के सभ्य, विकसित और लोकतांत्रिक देशों ने अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा का कवच उपलब्ध कराया है। उन्हें मुफ्त में अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिलती है। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाती है और रोजगार खत्म होते ही तत्काल भत्ता मिलता है। सरकार उनके लिए सम्मान से जीने की स्थितियां मुहैया कराती हैं। इसके उलट भारत में नागरिकों को मुफ्त की रेवड़ी, खैरांत बांटते है। वह भी किसी नियम या कानून के तहत नहीं, बल्कि पार्टियों और सरकारों की चुनावी योजना के तहत। यह इतना तदर्थ होता है कि चुनाव में नेता प्रचार करते हैं कि,...

  • नीति का तो काम ही क्या!

    कभी भारत में एक नीति आयोग हुआ करता था। नीतियों की घोषणाओं की प्रेस कॉन्फ्रेस हुआ करती थी। संसदीय कमेटियों में विचार और जानकारों व जनता की फीडबैक पर नीति बनती थी। कैबिनेट और संसद में बहस होती थी। लेकिन अब कानून बनते हैं, रेवड़ियां बनती हैं मगर नीति नहीं। अर्थात नेता वोट पटाने का आइडिया सोचता है और प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अफसर को आदेश देता है। और कानून बन जाता है। यह ढर्रा बुलडोजर राज का प्रतिनिधि है। तभी इस सप्ताह यह जान हैरानी नहीं हुई कि उत्तर प्रदेश सरकार खाने-पीने की चीजों में 'थूकने' जैसी कथित करतूतों को रोकने...