Pitru Paksha 2024

  • पितृसंबंधी दानकर्म है श्राद्ध

    श्राद्ध कर्म में विशेष कर पितृ शब्द से विद्यादाता का ग्रहण होता है। अपने उत्पादक पिता की सेवा-शुश्रूषा तो सबको सदैव करनी ही चाहिए। ऐसा नहीं करने वाला कृतघ्न होता है। ज्ञान व विद्या देने वाले ज्ञानी पिता का भी भोजनादि से प्रतिदिन सत्कार करना ही श्राद्ध है। अपने जनक और अन्य यज्ञोपवीत कराने वाले आदि की सेवा को सामान्य प्रकार से तर्पण कहते हैं। श्राद्ध कर्म में पूजने योग्य दो ही हैं- पितृ और देव। भारतीय परंपरा में मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण माने गए पंच महायज्ञों में ब्रह्मयज्ञ (स्वाध्याय), पितृयज्ञ (तर्पण), देवयज्ञ (होम/हवन), बलि वैश्वदेव (भूतयज्ञ)और नृयज्ञ (अतिथि...

  • जानें पितृदोष से मुक्ति के लिए कौवों को भोजन खिलाने की रहस्यमयी परंपरा….

    Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष यानि श्राद्ध का अत्यधिक महत्व होता है. पितृ पक्ष यानि श्राद्धों में दिवंगत पूर्वजों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर होता है. भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक श्राद्ध चलते है. इस 16 दिवसीय पर्व में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं. श्राद्ध के दौरान तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है. इस समय में कौवे को भोजन कराना एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ कार्य माना जाता है, क्योंकि इसे पितरों तक अन्न पहुंचाने का माध्यम...

  • Pitru Paksha 2024: इस साल का पितृपक्ष शुभ नहीं, ब्रह्मांड में घटेंगी दो बड़ी घटनाएं

    Pitru Paksha 2024: पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसकी शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक होती है। इन 16 तिथियों के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान का विशेष महत्व होता है। इन कर्मकांडों को विधिपूर्वक करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। बता दें कि इस साल पितृपक्ष यानी श्राद्ध की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है. लेकिन पहला श्राद्ध 18 सितंबर 2024 को निकाला जाएगा. वहीं 2...