ऐसे तो खेलों में नहीं उठेगा भारत
हमारे यहां खिलाड़ी अपनी जिद से उभरते हैं। जैसाकि अभिनव बिंद्रा ने कहा, उनकी कामयाबी में समाज या सरकारी व्यवस्था का कोई रोल नहीं होता। जब प्रतिभाएं उभर जाती हैं, तो कॉरपोरेट स्पॉन्सरशिप आती है। सरकारी मदद भी मिलती है। यह आस भी जगाई जाती है कि अगर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता, तो उन्हें बतौर इनाम बड़े आर्थिक लाभ मिलेंगे। लेकिन यह सब उभर चुकने के बाद की बात है। … सांप-सीढ़ी के खेल की तरह एक बार 48वें स्थान पर चढ़ने के बाद फिर गिर कर 71वें नंबर पर पहुंच जाना भारत का नियति बनी रहेगी। प्रधानमंत्री...