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  • भागवत की बात का क्या मतलब है?

    राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कुछ समय पहले कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरुरत नहीं है। अब फिर उन्होंने कहा है कि कुछ लोग मंदिर और मस्जिद का विवाद छेड़ कर हिंदुओं का नेता बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का मामला अलग था। वह आस्था का मामला था। लेकिन अब मंदिर और मस्जिद का विवाद नहीं छेड़ना चाहिए। मोहन भागवत ने जब पहली बार कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने की जरुरत नहीं है उसके बाद से मस्जिदों में शिवलिंग खोजने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई...

  • नाजुक दौर में मुसलमान विवेक न छोड़े

    भारत के मुसलमानों को चाहिये कि वे कट्टरपंथी और दहशतगर्दों से बचकर रहे। इतना ही नहीं इनको पकड़वाने और इनके हौसले नाकामयाब करने में सक्रिय हों।... उम्मीद की जानी चाहिये कि भारत के मुसलमान वक्त के इस नाजुक दौर में परिपक्वता और होशियारी का परिचय देंगे ताकि हर परिवार में खुशहाली और अमन चैन बढ़े, नफरत और बैर नहीं।   हर जमात में शरीफ लोगों की कमी नहीं होती। मुसलमानों में भी नहीं है। चाहे भारत के हों या पाकिस्तान के। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इम्तियाज अहमद उन मुसलमानों में से थे जिन्होंने भारत में इस्लाम की हालत पर...

  • बच्चे पैदा करने से ज्यादा जरूरी हिंदू बच्चों को भेड़ नहीं सत्यवादी इंसान बनाएं!

    अपने सिन्हा साहब ने दिल्ली लौट पुश्तैनी प्रदेश के हाल बताए। लखनऊ के महानगर इलाके में उनके भाई-बंदों का घर है। वही रूके तो सामने स्कूल के लाउडस्पीकर से लगातार शोर से परेशान हुए। यह स्कूल उनके देखते-देखते लड़के-लड़कियों का इंटर स्कूल हुआ। उसमें मंदिर बना, भगवा छाया। लेकिन पहले कभी लाउडस्पीकर से शोर नहीं था। गणपति बप्पा मोरिया की वंदना से लेकर फिल्मी गानों (देशभक्ति, देवी-देवताओं) का सुबह आठ बजे से ही शोर। भाई से पूछा क्या हमेशा रहता है? हां, ऐसे ही है। एक सुबह शोर हुआ तो कौतुकवश सिन्हाजी छत पर जा कर स्कूल के प्रांगण का...

  • उपसंहारः मध्यकाल की ओर!

    हम हिंदुओं की नियति है कि आगे बढ़ते हैं, फिर पीछे लौटते हैं। आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाते हैं और पुरातन में लौटते हैं! उदारवाद अपनाते हैं अनुदारवादी कन्वर्ट होते हैं। विकसित भारत का सपना बताते हैं और सौ करोड़ लोगों को खैरात बांटते दिखते हैं। एकता-अखंडता की रक्षा के वीर योद्धाओं, छप्पन इंची छाती का हल्ला होता है लेकिन उन्हीं से विलाप-प्रलाप में सुनते हैं कि बंटोंगे तो कटोगे! अंततः सारे दुखिया “दुश्मन” बनाम “दुश्मन” के इतिहास द्वंद्व में खौलते हुए! और मध्यकाल लौटता हुआ।  हम हिंदू चाहते क्या है? -6 वह (हिंदू राजवंश का आखिरी शासक सुहादेव) "एक...

  • मुसलमान को धिम्मी बनाकर रखेंगे या धर्मांतरित करेंगे या मारेंगे?

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • समस्या मुसलमान से नहीं  हिंदू ‘निरुद्देश्यता’ से है!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • हम हिंदू क्या चाहते है?

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • ‘पंथनिरपेक्ष’ हमारा सनातन दर्शन!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की जीत

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • उत्सवधर्मिता संकट में तो है!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • अगली दीवाली तक का प्रश्नपत्र

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • अपना भी तआल्लुक है दिवाली से, तुम्हारे से !

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • गंगा-जमनी तहज़ीब से ही भला

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • इस्लाम असहाय!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • भारत का ये दौर!

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • तालिबानी मुसलमानों से योरोप में नफरत

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • कर्नाटक के मंगलुरू में सांप्रदायिक तनाव

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • ज्ञानवापी में नमाज पर पाबंदी से इनकार

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

  • बांग्लादेश जैसा होने का डर क्यों दिखाना

    कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी व ईमानदारी है! ले देकर यह सनक है कि मुसलमान ने ऐसा किया, तो हम भी वैसा करें। अर्थात इतिहास का बदला लेना है! यदि यह प्रण, यही कसौटी है तो दिल्ली का प्रधानमंत्री, लखनऊ का वजीर क्या मुसलमान को वैसे मारेगा जैसे महमूद गजनी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने Hindu को मारा, उन्हें धर्मांतरित किया? हम हिंदू चाहते क्या है? -4: इतिहास को झगड़ालू मान कोई उसे भुलाए या महान मान चिकना-चुपड़ा बनाए...

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