चप्पलों का समाजशास्त्र
mahakumbh stampede: महाकुंभ में मौनी अमावस्या की रात जो हादसा हुआ उसने आयोजकों की हिप्पोक्रेसी और हिंदू धर्म के एक बड़े मठ के महंत व राज्य के मुख्यमंत्री व उनके प्रशासन की असंवेदनशीलता ही जाहिर नहीं की, बल्कि भारतीय समाज की एक दूसरी वास्तविकता को भी बतलाया है। अंदाजा तो सबको था कि महाकुंभ में किस आर्थिक या सामाजिक पृष्ठभूमि के लोग पहुंच रहे हैं लेकिन भगदड़ की जगह पर जिस मात्रा में चप्पलें प्राप्त हुईं या जिस किस्म के कपड़े, लत्ते या झोले का कूड़ा इकठ्ठा हुआ उनसे इस सत्य की पुष्टि है कि अंततः गरीब, वंचित लोग ही...