Jharkhand assembly election

  • झारखंड चुनाव की विडम्बना

    हर चुनाव में कुछ न कुछ उलटबांसी या विडम्बना देखने को मिलती है। लेकिन इस बार का झारखंड विधानसभा का चुनाव इस मामले में अद्भुत था। पहली बार यह देखने को मिला कि हेमंत सोरेन की सरकार विकास के नाम पर चुनाव लड़ रही थी और भारतीय जनता पार्टी धर्म और ध्रुवीकरण के आधार पर वोट मांग रही थी। आमतौर पर यह माना जाता है कि शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को विकास से कोई लेना देना नहीं होता है। पार्टी अपने आदिवासी और मुस्लिम वोट आधार पर राजनीति करती है। शिबू सोरेन की दाढ़ी और तीर धनुष...

  • हेमंत का नाम लिए बगैर मोदी का हमला

    रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार का आगाज किया। सोमवार को उन्होंने दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया। राज्य की 43 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होना है। उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गढ़वा और चाईबासा में चुनावी रैली को संबोधित किया। चाईबासा के आसपास की सभी छह सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं तो प्रधानमंत्री का भाषण भी आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित था। इससे पहले गढ़वा में उनकी सभा हुई। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जम कर हमला किया लेकिन उनका नाम नहीं लिया। मोदी...

  • बागियों को मनाना सबसे बड़ा सिरदर्द

    झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के सामने सबसे बड़ा सिरदर्द बागी उम्मीदवारों को मनाने का है। चुनाव के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने जिस दिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय को मनाया था उस दिन उन्होंने कहा था कि भाजपा को तो सिर्फ दो सीटों पर समस्या है लेकिन जेएमएम और कांग्रेस को तो हर सीट पर समस्या है। असल में इसका उलटा हो रहा है। भाजपा को हर सीट पर समस्या दिख रही है। खुद हिमंता सरमा भागदौड़ करके नाराज नेताओं को मना रहे हैं। रविंद्र राय बागी नहीं हों इसके लिए उनको शिवराज सिंह चौहान और सरमा...

  • झारखंड में हर सीएम रिश्तेदार को भाजपा टिकट!

    अगले महीने झारखंड की स्थापना के 24 साल होने वाले हैं। इन 24 सालों में अनेक सरकारें बनीं और सरकारों का औसत कार्यकाल ढाई साल रहा है। इस दौरान सात मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें से कई अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने कई बार शपथ ली है। इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बेहद दिलचस्प परिघटना दिखाई दे रही है। वह ये है कि झारखंड के इतिहास में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं चाहे वह जेएमएम का हो, भाजपा का हो या निर्दलीय हो, सबके परिवार का कोई न कोई सदस्य भाजपा की टिकट पर...

  • भाजपा का आदिवासी और कोल्हान पर फोकस

    भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे से आदिवासी और कोल्हान इलाके को साधने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर हार गई। इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान इलाके की 15 सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि इस क्षेत्र में जमशेदपुर जैसा मेट्रोपोलिटन शहर है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास भी जमशेदपुर के ही रहने वाले थे और उस समय केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी जमशेदपुर के...

  • राजद की नहीं लेफ्ट की ज्यादा जरुरत

    भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे से आदिवासी और कोल्हान इलाके को साधने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर हार गई। इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान इलाके की 15 सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि इस क्षेत्र में जमशेदपुर जैसा मेट्रोपोलिटन शहर है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास भी जमशेदपुर के ही रहने वाले थे और उस समय केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी जमशेदपुर के...

  • झारखंड में भाजपा भावना के भरोसे

    भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे से आदिवासी और कोल्हान इलाके को साधने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर हार गई। इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान इलाके की 15 सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि इस क्षेत्र में जमशेदपुर जैसा मेट्रोपोलिटन शहर है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास भी जमशेदपुर के ही रहने वाले थे और उस समय केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी जमशेदपुर के...

  • हकीकत की रोशनी में

    भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे से आदिवासी और कोल्हान इलाके को साधने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। गौरतलब है कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पांच सीटों पर हार गई। इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान इलाके की 15 सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि इस क्षेत्र में जमशेदपुर जैसा मेट्रोपोलिटन शहर है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास भी जमशेदपुर के ही रहने वाले थे और उस समय केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी जमशेदपुर के...

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