India economy crisis

  • सूचकांकों का संदेश

    धनी और सरकारी सहायता पर निर्भर वर्ग तबके बेहतर स्थिति में हैं। मगर जिनकी जिंदगी मेहनत या उद्यम पर निर्भर है, वे तबके अपने उपभोग में कटौती कर रहे हैं, जिसका असर कॉरपोरेट्स तक पहुंचने लगा है।  डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के गिरने का सोमवार को फिर ‘रिकॉर्ड बना’, जब ये कीमत 84.70 रुपये तक जा गिरी। मुद्राओं की कीमत के गिरने या उठने के कुछ अंतरराष्ट्रीय कारण भी होते हैं, इसलिए दलील दी जा सकती है कि इस रुझान के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कोई आम समझ नहीं बनाई जा सकती। मगर अनेक...

  • सिकुड़ता हुआ मध्य वर्ग

    यह टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बताती है। इससे भाजपा सरकार का “विकसित भारत” का नैरेटिव पंक्चर होता है। नेश्ले प्रमुख ने कहा कि भारत में मध्य वर्ग सिकुड़ रहा है, मगर साथ ही महंगी चीजों की मांग बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनी नेश्ले की भारतीय इकाई के प्रमुख ने जो कहा, वह विस्फोटक है और उस पर सत्ता पक्ष समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया अपेक्षित ही थी। सुरेश नारायणन की ये टिप्पणी भारतीय अर्थव्यवस्था की हकीकत बताती है। इससे भाजपा सरकार का “विकसित भारत” का नैरेटिव पंक्चर होता है। नारायणन ने कहा है कि भारत में मध्य वर्ग सिकुड़ रहा...

  • प्रतिस्पर्धा से क्यों डरे?

    असल मुद्दा यह है कि आखिर भारतीय अर्थव्यवस्था में बाहरी कारोबार से प्रतिस्पर्धा एवं मुनाफा देने की क्षमता इतनी कमजोर क्यों बनी हुई है? इस प्रश्न का ठोस उत्तर नहीं ढूंढा गया, तो भारत की आर्थिक बदहाली बढ़ती ही जाएगी। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता इतनी कमजोर क्यों है कि हर व्यापार मुकाबले में वह पिट जाती है? देश सही दिमागी हालत में हो तो  इस सवाल से उसकी नींद उड़ जानी चाहिए। बहुपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों से भारत को नुकसान की आशंका से ग्रस्त नरेंद्र मोदी सरकार ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) करार से अंतिम मौके पर खुद...