उम्मीद कभी मरती नहीं है!
देश के निराशाजनक माहौल और दुनिया जिस दिशा में जा रही है, उसके बारे में सोचने से बेहतर हम या तो उसे नजरअंदाज करना सीख लें या कहीं से रोशनी की एक किरण ढूंढ निकालें। जीवन उम्मीदों से भरा होता है। इसलिए 2025 भी आशा से भरा हुआ है। पर क्या वाकई कुछ होगा? आज से दस साल पहले भारत के सीने में उम्मीदों का ज्वार था। वे उम्मीदें जो सच्ची और सहज जान पडती थीं। पिछले साल इन उम्मीदों का इम्तिहान था। नींद में गाफिल जनता जागी और सबने एक-दूसरे से पूछा, “क्या अब भी कोई उम्मीद बाकी है?”...