Hindu Marriage

  • देवउठनी एकादशी तक विष्णु जी विश्राम पर, देवशयनी एकादशी से महादेव करेंगे संचालन

    Devshayani Ekadashi: आषाढ़ मास अपने समापन की ओर है और श्रावन माह का आगमन होने वाला है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व काफी अधिक है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विश्राम पर चले जाते है. इस समय श्रावन के आगमन पर शिव जी सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो जाते हैं. चातुर्मास में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कार्य के लिए मुहूर्त...

  • हिन्दू विवाह में रीति-रिवाज पालना जरूरी!

    सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर सहमति व्यक्त की है कि मंत्रोचारण के साथ अग्नि के सात फेरों के बिना हिन्दू विवाह वैध नहीं है। हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत वैध विवाह के लिए केवल प्रमाण पत्र ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि शादी समारोह और रीति-रिवाजों का पालन भी अनिवार्य रूप से किए जाने चाहिए, ताकि किसी विवाद की स्थिति में उस समारोह के सबूतों को दिखाया जाना चाहिए। भारतीय संस्कृति में जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार माने जाने वाले सोलह संस्कारों में शामिल विवाह संस्कार के बिना मानव जीवन पूर्ण नहीं माना जाता। विवाह शब्द दो शब्दों के योग...

  • बिना रस्म के हिंदू विवाह वैध नहीं

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू विवाह को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। सर्वोचच अदालत ने कहा है कि बिना रस्म के हिंदू विवाह वैध नहीं है। अदालत ने कहा है कि हिंदू विवाह कोई नाचने-गाने या खाने-पीने का मौका भर नहीं है और न यह कोई व्यापारिक लेन-देन है। जब तक इसमें रस्में नहीं निभाई जातीं, तब तक इसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वैध नहीं माना जा सकता है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार और एक धार्मिक उत्सव है, जिसे भारतीय समाज के अहम संस्थान...

  • सुलह की गुंजाइश न हो तो शादी तोड़ सकती है अदालत

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि अगर पति-पत्नी के बीच सुलह की गुंजाइश नहीं है तो अदालत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके शादी समाप्त कर सकती है। सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को व्यवस्था दी कि वह पति-पत्नी के बीच आई दरार भर नहीं पाने के आधार पर किसी शादी को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है। जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा- हमने अपने निष्कर्षों के अनुरूप, व्यवस्था दी है कि इस अदालत...