राज्यपालों की भूमिका पर विचार जरूरी
इन दिनों राजनीति में इस्तेमाल किए जा रहे मुहावरे के हिसाब से कहें तो आजादी के 75 साल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज्यपालों के ऊपर सर्वोच्च अदालत को इतनी सख्त टिप्पणियां करनी पड़े, जितनी अभी करनी पड़ रही है। आजादी के बाद कई बार राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठे हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि सांस्थायिक रूप से राज्यपाल राज्य सरकारों के कामकाज में दखल दें, विधेयक रोकें, सरकारों पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी करें और समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करें। राज्यपालों के ऐसे आचरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई बार बेहद तीखी टिप्पणियां की...