स्त्री वेदना को व्यक्त करने वाली गायिका
गिरिजा देवी के बाद वह दूसरी गयिका थीं, जिन्हें हिंदी प्रदेश की जनता ने प्यार और सम्मान दिया था। फर्क दोनों की गायिकी में था पर व्यक्तित्व एक जैसा। दोनों अपनी संस्कृति में रची बसी। दोनों गायिकी के लिए समर्पित। बिहार में सुपौल जिले के हुलास में 1952 में जन्मीं शारदा सिन्हा से पहले भी भोजपुरी लोक गीतों की गायिकी की लंबी परंपरा रही थी पर उन्होंने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया। विमल कुमार कोई भी कला बिना लोक के न तो लोकप्रिय हो सकती है न अमर। आम जन ही कला को दूर दूर तक पहुंचाता है। तुलसी...