वाचाल नेता, लाचार शिक्षा
एक नेता ने तैश से कहा: "आप ने इतनी पुस्तकें प्रकाशित की हैं। मगर उस में काम की कितनी हैं? सरकारी धन का ऐसा दुरुपयोग!" उन का अंदाज देख हर सच्चे शिक्षक को क्षोभ होगा।…कभी एक नेता ने ताना दिया: 'देश की एकता के लिए साहित्यकारों ने क्या किया है?' इस पर वात्स्यायन जी ने कहा था: 'देश की एकता छिन्न-भिन्न करने के लिए नेताओं ने क्या नहीं किया है?' आज के नेताओं से वही पूछने की जरूरत है कि शिक्षा में कूड़ा-कचरा, प्रोपेगंडा जमाने के लिए उन्होंने क्या नहीं किया है! कुछ पहले एक ऐतिहासिक अकादमिक संस्थान में भाषण...