लोकतंत्र: निर्भीक अदालत जो सत्ता की लगाम हो..!
Democracy and Judiciary: शास्त्रीय तौर पर पर तो लोकतंत्र में विधायी संस्था शासन के निकाय पर नियंत्रण रखती है, और इन दोनों के अतिरेक को स्पष्ट करने के लिए ’न्यायपालिका होती है। सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगा, लेकिन सभी लोकतंत्र राष्ट्रों में होता इसका उल्टा ही है। प्रजातन्त्र की अवधारणा यूं तो बहुत सत्य लगती हैं, परंतु वास्तविकता के धरातल पर होता उल्टा ही हैं ! यंहा हम यूरोप के अनेक देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ उदाहरण लेते हैं। अमेरिका में नेता और जनता का यह संवाद बहुत माकूल हैं। जनता के अधिकारों की रक्षा का...