कहीं पे निगाहें… कहीं पे निशाना
भोपाल। आज जब देश पर राज कर रही भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान चल रहा है, इस दौर में मुझे एक बहुत पुराने फिल्मी नगमें की शीर्ष पंक्तियां याद आ रही है... वह नगमा था- ‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना... जीने दो जालिम बनाओं न दीवाना..’ इस नगमें की प्रथम पंक्ति भारतीय जनता पार्टी के लिए है, तो दूसरी पंक्ति सदस्यता ग्रहण करने वाली जनता के लिए है, अर्थात् इस सदस्यता अभियान का मूल मकसद भाजपा को अपनी सत्ता को बरकरार रखना है, तो सदस्यता ग्रहण करने वाली जनता का कहना है कि इस कठिन दौर में...