Baku

  • बाकू में वक्त बर्बाद?

    UN Climate Conference: बंटती हुई दुनिया में एकध्रुवीयता के जमाने में बनी सहमतियां वैसे भी अपनी अहमियत खो रही हैं। जलवायु सम्मेलन की प्रक्रिया उसी दौर में शुरू हुई थी। तो कुल मिला कर, जैसा अंदेशा था, बाकू सम्मेलन रस्म-अदायगी का मौका बन कर रह गया।  also read: चन्नापटना सीट के हवाले शिवकुमार की राजनीति संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मुद्दे अजरबैजान के बाकू में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) में कार्बन गैसों का उत्सर्जन रोकने का मुद्दा निष्प्रभावी ही बना रहा। सारी बात जलवायु परिवर्तन से एडजस्ट करते हुए नुकसान को यथासंभव सीमित रखने पर टिकी रही। यह मसला...

  • पृथ्वी हो बरबाद, किसे चिंता?

    Cop29 climate summit: क्या हम अपनी पृथ्वी के भविष्य को लेकर गंभीर हैं? एकदम नहीं। जब हर मसले की तरह, विज्ञान और क्लाइमेट चेंज के मसले पर भी राजनीति हावी है, तो गंभीरता के लिए गुंजाइश है ही कहां। also read: ईवीएम पर मायावती के सवाल इसका सुबूत हाल में संपन्न हुआ सीओपी-29 है। अजरबेजान में हुआ सीओपी-29 शुरूआत से ही उलझनों में उलझा दिख रहा था। वह इसलिए क्योंकि पहली बार इस सम्मेलन में रूपये-पैसे से जुड़े मसलों पर चर्चा होनी थी। और वह कठिन थी। छोटे-छोटे, एक या कुछ द्वीपों से मिलकर बने देशों को यह सम्मेलन समय की...

  • जलवायु सम्मेलन का रस्म

    ऊर्जा का सबसे ज्यादा उपभोग करने वाले धनिक वर्ग अपने जीवन स्तर में किसी कटौती के लिए तैयार नहीं हैं। सार्वजनिक हित के प्रति उनकी यही लापरवाही जलवायु परिवर्तन रोकने के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। आज (11 नवंबर) से अजरबैजान की राजधानी बाकू में संयुक्त राष्ट्र का 29वां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-29) आरंभ हो रहा है। वैसे तो गुजरे 28 वर्षों में साफ हो चुका है कि हर साल होने वाला ये सम्मेलन रस्म-अदायगी भर है, लेकिन इस बार वहां होने वाली चर्चाएं कुछ ज्यादा ही खोखली मालूम पड़ेंगी। एक तो यूक्रेन युद्ध शुरू होने के...