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23-04-2025 Vol 19

2011 विश्व कप जीत के साथ सचिन का लम्बा इंतजार खत्म हुआ

नई दिल्ली। 2011 वनडे विश्व कप (ODI World Cup) को लीजेंड सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के लिए प्रतिष्ठा पाने का आखिरी मौका माना गया था। सचिन ने भारत की इंग्लैंड (England) में 1983 की विश्व कप जीत को टीवी पर एक बच्चे के रूप में देखा था और जब भारत और पाकिस्तान (Pakistan) ने 1987 में विश्व कप की संयुक्त रूप से मेजबानी की तो वह बॉल ब्वाय की भूमिका में थे। एक खिलाड़ी के रूप में वह 1992 से हर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे लेकिन विश्व कप उनसे दूर ही रहा। वह 2003 में दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में हुए विश्व कप में ट्रॉफी पर हाथ लगाने के करीब आ गए थे। जहां वह 11 मैचों में 673 रन के साथ शीर्ष स्कोरर थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट (Player Of The Tournament) बने थे। हालांकि भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था। लेकिन 2011 में भारत ने श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप आयोजित किया।

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इस बात की प्रबल संभावना थी कि भारत सचिन के लिए ट्रॉफी जीते जो विश्व टूर्नामेंट के लिए उनका आखिरी मौका होगा। अनुभवी बल्लेबाजी लाइन अप के सबसे सीनियर सदस्य के रूप में सचिन ने इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक बनाये। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में 53 रन बनाये और मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में 85 रन बनाये जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला। अपने गृहनगर मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम (Wankhede Stadium) में श्रीलंका के खिलाफ खिताबी मुकाबले में सचिन मात्र 18 रन ही बना पाए लेकिन गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की दो बेहतरीन पारियों ने सचिन का विश्व विजेता बनने का सपना पूरा कर दिया। युवराज सिंह ने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार लिया जबकि सचिन श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान (500) के बाद 482 रनों के साथ दूसरे शीर्ष स्कोरर रहे। विश्व कप जीतने के बाद सचिन को साथी खिलाड़ियों ने कंधों पर उठाकर मैदान का चक्कर लगाया।

टीम के नए सदस्य विराट कोहली ने कहा सचिन ने 21 वर्षों तक देश का बोझ अपने कंधों पर ढोया है। अब समय है कि हम उन्हें कंधों पर लेकर चलें। बाद में युवराज ने कहा कि एक खास व्यक्ति जिसके लिए वह विश्व कप जीतना चाहते थे वह सचिन हैं। विश्व जीत पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक 30 मिनट के विशेष रेडियो शो (Radio Show) में सचिन ने कहा एक युवा लड़के के रूप में मैंने विश्व कप जीतने का सपना देखा था और अब इसे जीतने के बाद मेरे पास कुछ कहने के लिए शब्द नहीं हैं। यह मेरे करियर का सर्वश्रेष्ठ क्षण है। मैंने 21 साल इसके लिए इंतजार किया। यह कुछ खास है।उन्होंने कहा यह मेरा छठा विश्व कप है। हम एक बार सेमीफाइनल में हारे और एक बार फाइनल में। यह दिल तोड़ने वाला था। लेकिन आपको कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। यह मेरा सबसे बड़ा सपना था, मैंने इसका पीछा किया और यह सच हो गया। सचिन को 2011 तक विश्व कप ट्रॉफी को हाथों में उठाने के लिए इंतजार करना पड़ा जिससे पता चलता है कि वह इसके लिए तैयार थे। (आईएएनएस)

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