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28-02-2025 Vol 19

अनुष्का-विराट की दूरी बढ़ाएगी मजबूरी, अब ज्यादा दिन साथ नहीं…

BCCI new rules: बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा और भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते हैं।

अनुष्का को अक्सर विराट के मैचों के दौरान स्टेडियम में देखा जाता है, जहां वे अपने पति की हर जीत, हार और प्रदर्शन पर भावुक रिएक्शन देती हैं।

विराट और अनुष्का की इस खूबसूरत बॉन्डिंग ने हमेशा फैंस का दिल जीता है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि इस जोड़ी के साथ रहने के पल सीमित हो सकते हैं, क्योंकि बीसीसीआई ने एक नया फैसला लिया है, जो खिलाड़ियों के परिवारों पर असर डाल सकता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने यह निर्णय लिया है कि टीम इंडिया के खिलाड़ियों के परिवार और पार्टनर पूरे दौरे के दौरान उनके साथ नहीं रह सकेंगे।

इस नियम के लागू होने का मतलब है कि अब अनुष्का शर्मा और विराट कोहली जैसे कपल्स को मैचों के दौरान लंबे समय तक एक-दूसरे से दूर रहना पड़ सकता है।

यह खबर विराट-अनुष्का के फैंस के लिए निश्चित रूप से निराशाजनक है, क्योंकि उनकी एकजुटता को हमेशा सराहा गया है।

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इस नए नियम की वजह क्या है?

बीसीसीआई ने यह कदम खिलाड़ियों की फिटनेस, ध्यान और प्रदर्शन को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से उठाया है। बोर्ड का मानना है कि लंबे दौरों के दौरान खिलाड़ियों का ध्यान केवल खेल पर होना चाहिए।

जब खिलाड़ी अपने परिवार और पार्टनर के साथ होते हैं, तो यह उनके प्रदर्शन और तैयारियों को प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा, यह फैसला टीम के एकजुटता और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए भी लिया गया है।

बीसीसीआई ने यह सुनिश्चित करना चाहा है कि खिलाड़ी एक पेशेवर माहौल में रहें, जहां उनका सारा ध्यान खेल और टीम के हितों पर केंद्रित हो।

फैंस की प्रतिक्रिया और संभावित असर

इस निर्णय के बाद सोशल मीडिया पर फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि खिलाड़ियों को अपने परिवार और पार्टनर के साथ समय बिताने का अधिकार होना चाहिए, जबकि अन्य इसे एक व्यावसायिक कदम मानते हैं, जो खेल के हित में है।

हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नियम खिलाड़ियों और उनके परिवारों के बीच किस प्रकार से संतुलन बनाता है।

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे कपल्स के लिए यह नियम निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि वे हमेशा एक-दूसरे का सपोर्ट सिस्टम रहे हैं।

अब यह सवाल उठता है कि क्या इस फैसले से खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार होगा, या फिर यह उनके व्यक्तिगत जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

लेकिन फिलहाल, अनुष्का और विराट के साथ-साथ अन्य खिलाड़ियों के फैंस को इस नए नियम के साथ तालमेल बिठाने की आदत डालनी होगी।

क्रिकेटर्स की फैमिली लेकर नए न‍ियम

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के विदेशी दौरों पर परिवार और पत्नियों के साथ रहने को लेकर नए नियम लागू कर दिए हैं।

इस फैसले के पीछे बीसीसीआई का मानना है कि परिवार और पत्नी के साथ होने से खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में विराट कोहली और केएल राहुल की पत्नियां अनुष्का शर्मा और अथिया शेट्टी, स्टेडियम में नजर आई थीं।

उनके वीडियोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे, जो दर्शाता है कि इन कपल्स की मौजूदगी पर फैंस की नजरें रहती हैं।

बीसीसीआई ने अपनी हालिया मीटिंग में यह तय किया है कि खिलाड़ियों के परिवार और पत्नियां अब पूरे विदेशी दौरे के दौरान उनके साथ नहीं रह पाएंगी।

यदि दौरा 45 दिन का है, तो परिवार को खिलाड़ियों के साथ केवल 14 दिनों तक रहने की अनुमति होगी। वहीं, यदि दौरा छोटा हुआ तो यह अवधि और घटकर सिर्फ 7 दिन हो जाएगी।

इस नियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों का ध्यान खेल और उनकी जिम्मेदारियों पर केंद्रित करना है। बोर्ड को ऐसा लगता है कि लंबे समय तक परिवार के साथ रहने से खिलाड़ी खेल पर पूरी तरह फोकस नहीं कर पाते हैं।

इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि परिवार की मौजूदगी कभी-कभी मीडिया और सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों के निजी पलों को सार्वजनिक बना देती है, जिससे अनावश्यक ध्यान भटकता है।

इस फैसले की बड़ी वजहें

ध्यान भटकने की संभावना: बीसीसीआई का मानना है कि खिलाड़ियों का ध्यान केवल उनके खेल पर होना चाहिए।(BCCI new rules)

परिवार और पत्नी के साथ होने से उनके निजी और सामाजिक जीवन पर अधिक ध्यान केंद्रित हो सकता है, जिससे प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

टीम एकता और अनुशासन: बोर्ड ने यह कदम टीम के भीतर अनुशासन और एकता बनाए रखने के लिए उठाया है।

जब खिलाड़ी अपने परिवार के साथ नहीं होंगे, तो वे अधिक समय टीम के साथ बिताएंगे, जो टीम की सामूहिक भावना को मजबूत करेगा।

मीडिया का ध्यान: खिलाड़ियों के परिवार और पत्नियों की उपस्थिति अक्सर मीडिया और फैंस का ध्यान खींचती है। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो और तस्वीरें वायरल होने से खिलाड़ी अनावश्यक दबाव में आ सकते हैं।

लॉजिस्टिक चुनौतियां: लंबे विदेशी दौरों में खिलाड़ियों के साथ उनके परिवार के रहने से लॉजिस्टिक व्यवस्था और संसाधनों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

खिलाड़ियों और फैंस की प्रतिक्रिया

बीसीसीआई के इस फैसले ने खिलाड़ियों और उनके फैंस के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया पैदा की है। कुछ का मानना है कि यह एक व्यावसायिक निर्णय है, जो खेल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

वहीं, अन्य लोगों को लगता है कि यह नियम खिलाड़ियों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करता है।

विशेष रूप से विराट कोहली और अनुष्का शर्मा, अथिया शेट्टी और केएल राहुल जैसे कपल्स के लिए यह फैसला थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वे हमेशा एक-दूसरे के सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करते हैं।

इस फैसले के लागू होने के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टीम की एकता पर किस प्रकार का प्रभाव डालता है।

हालांकि, बीसीसीआई का यह निर्णय खिलाड़ियों के हित और टीम की बेहतर तैयारी के लिए लिया गया है, लेकिन इसका प्रभाव व्यक्तिगत स्तर पर खिलाड़ियों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

विराट की कप्तानी में गर्लफ्रेंड को साथ रखने का नियम(BCCI new rules)

2014 में भारतीय क्रिकेट टीम के नियमों में एक बड़ा बदलाव देखा गया, जब विराट कोहली की कप्तानी में बीसीसीआई ने गर्लफ्रेंड को भी खिलाड़ियों के साथ विदेशी दौरों पर साथ रहने की इजाजत दी।

इससे पहले केवल पत्नियों को ही खिलाड़ियों के साथ रहने की अनुमति थी। यह बदलाव उस समय चर्चा का विषय बन गया था, क्योंकि यह पहली बार था जब बोर्ड ने खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जिंदगी को लेकर इतना बड़ा निर्णय लिया।

विराट कोहली ने इस नियम के लिए तत्कालीन हेड कोच रवि शास्त्री से अनुमति ली थी। उस समय अनुष्का शर्मा, विराट की गर्लफ्रेंड थीं, और उनके रिश्ते को लेकर काफी चर्चाएं हो रही थीं।

विराट के इस कदम को खिलाड़ियों के निजी जीवन को संतुलित रखने और मानसिक रूप से उन्हें मजबूत बनाए रखने के एक प्रयास के रूप में देखा गया।

अनुष्का शर्मा का विराट के साथ समय

अनुष्का शर्मा, जो अब विराट कोहली की पत्नी हैं, इन दिनों फिल्मी दुनिया से ब्रेक लेकर अपने परिवार के साथ समय बिता रही हैं।

वह अक्सर विराट के साथ हर जगह नजर आती हैं, चाहे वह क्रिकेट का मैदान हो या उनके निजी पल। अनुष्का ने विराट और अपने बच्चों के साथ कई खास पल साझा किए हैं, जो उनके फैंस के लिए भी प्रेरणा बने हैं।

अनुष्का और विराट ने लंदन में भी काफी समय बिताया है। अनुष्का ने अपने बेटे अकाय को जन्म भी लंदन में दिया था।(BCCI new rules)

यह कपल अपनी फैमिली लाइफ को प्राथमिकता देने के लिए जाना जाता है। हाल ही में, उन्हें अपने दोनों बच्चों के साथ प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेते हुए देखा गया था। इसके बाद वे अलीबाग में कुछ खास समय बिताने गए थे।

नियम का प्रभाव और चर्चा

गर्लफ्रेंड को साथ रखने का नियम न केवल विराट और अनुष्का के लिए, बल्कि बाकी खिलाड़ियों के लिए भी एक बड़ी राहत साबित हुआ।

यह कदम खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर लिया गया था, क्योंकि लंबे दौरे और मैचों के बीच परिवार और करीबियों के साथ रहना उनके तनाव को कम कर सकता था।

हालांकि, बीसीसीआई का यह कदम उस समय विवादों में भी रहा, क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि इससे खिलाड़ियों का ध्यान खेल से हट सकता है।

लेकिन विराट कोहली के नेतृत्व में टीम ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया, जो इस नियम की उपयोगिता को साबित करता है।

आज भी अनुष्का और विराट की जोड़ी को क्रिकेट और बॉलीवुड दोनों दुनिया में एक आदर्श जोड़ी के रूप में देखा जाता है।

उनकी साथ रहने की यह परंपरा उनकी मजबूत साझेदारी और एक-दूसरे के लिए अटूट समर्थन का प्रतीक है।

BCCI को खिलाड़ियों के परिवार से दिक्कत?(BCCI new rules)

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है और इसे खिलाड़ियों के परिवारों पर होने वाले खर्च को उठाने में कोई परेशानी नहीं होती।

लेकिन असली समस्या लॉजिस्टिक्स यानी व्यवस्थापन की है। जब खिलाड़ियों के परिवार उनके साथ पूरे दौरे पर रहते हैं, तो उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना बीसीसीआई की जिम्मेदारी बन जाती है।

यही जिम्मेदारी टीम इंडिया के साथ जुड़े मैनेजर्स और अधिकारियों के लिए चुनौती बन जाती है।

जब खिलाड़ी अपने परिवार को दौरे पर साथ लाते हैं, तो यह सुनिश्चित करना बीसीसीआई का काम होता है कि उन्हें सभी सुविधाएं मिलें।

खिलाड़ियों के परिवार के लिए होटल, ट्रांसपोर्ट, और अन्य व्यवस्थाओं का प्रबंधन करना आसान नहीं होता।

खिलाड़ियों का ख्याल रखना जहां अपेक्षाकृत सरल है, वहीं उनके परिवारों के अलग-अलग जरूरतों को संभालना मैनेजर्स के लिए चुनौती बन जाता है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2020 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर देखने को मिला था। उस समय टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ उनके परिवार और सपोर्ट स्टाफ की कुल संख्या 40 से ज्यादा थी।

इतने बड़े ग्रुप को मैनेज करना बीसीसीआई के लिए सिरदर्द बन गया था। टीम के लिए निर्धारित दो बसें भी कम पड़ गई थीं। साथ ही, खिलाड़ियों के परिवारों के लिए मैच टिकट का इंतजाम करना भी एक बड़ी समस्या बन गया था।

2019 वर्ल्ड कप का अनुभव

2019 वर्ल्ड कप के दौरान भी बीसीसीआई को ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा था। खिलाड़ियों के परिवारों के साथ-साथ सपोर्ट स्टाफ की बढ़ती संख्या ने व्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दबाव डाला था। मैच टिकट, ट्रांसपोर्ट और होटल की व्यवस्थाएं करना मुश्किल हो गया था।

बीसीसीआई का रुख और निर्णय

इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, बीसीसीआई ने यह तय किया है कि खिलाड़ियों के परिवार पूरे दौरे के दौरान उनके साथ नहीं रह सकते। इसके लिए कुछ सख्त नियम बनाए गए हैं, जैसे कि:

यदि दौरा 45 दिनों का है, तो परिवार केवल 14 दिन तक ही खिलाड़ियों के साथ रह सकता है।
छोटे दौरों पर यह अवधि और घटकर 7 दिन तक सीमित हो जाती है।

खिलाड़ियों और परिवारों पर प्रभाव

यह निर्णय खिलाड़ियों और उनके परिवारों के लिए निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण है। खिलाड़ी अक्सर लंबे दौरों पर अपने परिवार के साथ समय बिताकर मानसिक तनाव को कम करते हैं।

लेकिन बीसीसीआई के लिए यह कदम जरूरी था, क्योंकि इससे टीम का ध्यान और अनुशासन बनाए रखना संभव होगा।

बीसीसीआई का यह फैसला खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टीम के प्रबंधन को ध्यान में रखकर लिया गया है। हालांकि, लॉजिस्टिक्स की समस्याओं को सुलझाने के लिए और बेहतर व्यवस्थाएं की जा सकती हैं।

इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ी अपने खेल पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें, जबकि उनके परिवार की जरूरतें सही तरीके से पूरी हों।

लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नियम का लंबी अवधि में खिलाड़ियों के प्रदर्शन और व्यक्तिगत जीवन पर क्या असर पड़ता है।

ये वजह भी हो सकती हैं

लंबे दौरों पर खिलाड़ियों के साथ उनके परिवार के होने से कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलू जुड़े होते हैं। जब खिलाड़ी अपनी पत्नी या गर्लफ्रेंड को साथ लेकर जाते हैं, तो उनके फ्री समय का बड़ा हिस्सा उनके साथ बितता है।

वे उनके साथ घूमने-फिरने और समय बिताने में व्यस्त हो जाते हैं। इससे खिलाड़ियों के बीच आपसी टीम बॉन्डिंग में कमी आ सकती है, क्योंकि टीम के बाकी सदस्यों के साथ समय बिताने का अवसर सीमित हो जाता है।

टीम बॉन्डिंग किसी भी खेल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। खिलाड़ी जब साथ में समय बिताते हैं, तो वे एक-दूसरे को बेहतर समझने और एकजुट होकर खेलने का अवसर पाते हैं।

लेकिन जब परिवार साथ होता है, तो यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है। परिवार के साथ होने से खिलाड़ी ज्यादा व्यक्तिगत हो जाते हैं, और टीम की आपसी बातचीत और सामूहिक गतिविधियां कम हो जाती हैं।

हालांकि, परिवार के साथ होने के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। खिलाड़ियों को मानसिक शांति और भावनात्मक सहारा मिलता है, जो उनके प्रदर्शन में मददगार हो सकता है।

लेकिन यह भी सच है कि बड़े टूर्नामेंट्स और महत्वपूर्ण मुकाबलों में, खिलाड़ियों का पूरा ध्यान खेल पर होना चाहिए। परिवार के साथ होने से उनके ध्यान में बंटवारा हो सकता है, जो उनके प्रदर्शन पर असर डाल सकता है।

दुनिया की कई बड़ी टीमें ऐसे समय में खिलाड़ियों को पूरी तरह से खेल पर केंद्रित रखने के लिए परिवार को साथ न ले जाने का निर्णय लेती हैं।

बीसीसीआई ने चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया होगा, ताकि खिलाड़ियों की पूरी ऊर्जा और ध्यान खेल पर केंद्रित रहे।

इस फैसले का उद्देश्य यही है कि टीम बेहतर तरीके से तैयार हो और मुकाबलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके।

NI Desk

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