Thursday

24-04-2025 Vol 19

यूपी में शहरी निकाय चुनाव ज्यादा महत्व के

चुनाव आयोग ने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की घोषणा काफी पहले कर दी थी लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी निकाय चुनावों की घोषणा कर दी है। 14 हजार से कुछ ज्यादा पदों के लिए चार और 11 मई को वोट डाले जाएंगे और 13 मई को वोटों की गिनती होगी। यह कुछ  हैरान करने वाली बात है कि कर्नाटक के चुनाव की घोषणा के करीब दो हफ्ते बाद यूपी निकाय चुनाव की घोषणा हुई और वोटों की गिनती 13 मई को ही रखी गई। क्या भाजपा को कर्नाटक में चुनाव हारने की चिंता और उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव जीतने का भरोसा है? क्या इसी वजह से दोनों की गिनती एक साथ रखी गई है ताकि एक जगह की हार को दूसरी जगह की जीत से कवर किया जाए? राजनीति में किसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बहरहाल, भाजपा उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव को करो या मरो के अंदाज में लड़ने वाली है। अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले यह बड़ी परीक्षा है। भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी और उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने साथ मिल कर चुनाव लड़ने का ऐलान  कर दिया है। इसका मतलब है कि दोनों गठबंधनों के बीच आमने सामने का मुकाबला होगा। भाजपा अपने ओबीसी फॉर्मूले की परीक्षा करेगी इस चुनाव में। बताया जा रहा है कि ओबीसी के लिए आरक्षित 27 फीसदी सीटों से अलग जनरल सीट पर भी बड़ी संख्या में ओबीसी उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इसके अलावा भाजपा इस बार पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों को भी मुस्लिम बहुल सीटों पर उतारेगी। गौरतलब है कि पिछले साल हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुस्लिम समाज से संपर्क बढ़ाने को कहा था। उसके बाद से पार्टी इस दिशा में काम कर रही है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के चार मुस्लिम पार्षद हैं, जबकि सपा के सिर्फ दो हैं।

NI Political Desk

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