Friday

11-04-2025 Vol 19

राज्यों की यात्राओं का असर नहीं

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा काफी हद तक सफल रही है। इसका कारण यह है कि लंबे समय के बाद किसी बड़ी पार्टी ने एक महत्वाकांक्षी राजनीतिक अभियान शुरू किया था। कांग्रेस ने तैयारी भी अच्छी की और राहुल गांधी ने बड़ी हिम्मत दिखाई। इस यात्रा के फॉलोअप के तौर पर पार्टी ने राज्यों में भी भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है और साथ ही 26 जनवरी से ‘हाथ से हाथ जोडो अभियान’ शुरू होने वाला है। इस अभियान के तहत कांग्रेस के नेता देश के छह लाख गांवों तक राहुल गांधी का संदेश लेकर जाएंगे। राहुल की यात्रा से बने माहौल का राजनीतिक लाभ लेने के लिए जरूरी है फॉलोअप के कार्यक्रम हों। लेकिन मुश्किल यह है कि राज्यों में हो रही यात्राओं का कोई खास असर नहीं हो रहा है।

बिहार, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में कांग्रेस की यात्रा चल रही है। लेकिन इन यात्राओं से कोई माहौल नहीं बन रहा है और न इससे कोई राजनीतिक विमर्श खड़ा हो रहा है। इसका पहला कारण तो यह है कि राज्यों में इस यात्रा की वैसी तैयारी नहीं हुई, जैसी राहुल की यात्रा की तैयारी हुई थी। लोगों को मोबिलाइज करने से लेकर पीआर की रणनीति और मीडिया प्रबंधन का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया। इसलिए यात्रा चल रही है और उस पर किसी का फोकस नहीं है। खुद कांग्रेस के नेता इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

दूसरा कारण यह है कि भारत जोड़ यात्रा की तर्ज पर राज्यों में यात्री तय नहीं हुए। कौन मुख्य यात्री होगा, यह फैसला नहीं हुआ। यह मान लिया गया है कि राज्य का प्रदेश अध्यक्ष ही यात्रा का नेतृत्व करेगा। लेकिन कई जगह देखने को मिला की यात्रा चल रही है और प्रदेश अध्यक्ष नदारद हैं। स्थायी यात्री, अस्थायी यात्री, अतिथि यात्री आदि की श्रेणियां नहीं बनाई गईं। तभी जिसको जब मन हुआ यात्रा में शामिल हुआ और उसके बाद गायब हो गया। सहयोगी पार्टियों से बात करने, उनके नेताओं को मना कर बुलाने और राज्य के प्रबुद्ध नागरिकों से संपर्क करके उनको बुलाने का भी काम नहीं हो रहा है। तीसरा कारण यह है कि राज्यों से बाहर के बड़े नेताओं की ड्यूटी नहीं लगाई गई है कि वे राज्यों की यात्रा में शामिल हों। अगर हर दिन कोई बड़ा केंद्रीय नेता यात्रा में शामिल होता तो जोश भी बनता और खबर भी बनती।

कुल मिला कर भारत जोड़ो यात्रा जितने व्यवस्थित तरीके से चल रही है, राज्यों की यात्रा उतने ही अव्यवस्थित तरीके से हो रही है। यह खानापूर्ति की तरह है। राज्यों के अध्यक्ष और प्रभारी मिल कर जैसे तैसे यात्रा पूरी कर रहे हैं। एक कारण यह भी है कि यात्रा का एजेंडा तय नहीं है। इस वजह से भी यात्रा से कोई मैसेज नहीं बन रहा है। अगर हर राज्य में वहां से जुड़े स्थानीय मुद्दों को एजेंडे में शामिल किया जाता तो लोग खुद को इसके साथ कनेक्ट कर पाते। तभी कांग्रेस को राज्यों की यात्राओं से सबक लेना चाहिए और ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ के लिए बेहतर तैयारी करनी चाहिए। अगर पूरी प्लानिंग या रणनीति के साथ पार्टी इस अभियान को नहीं शुरू करेगी तो यह एक रूटीन का राजनीतिक कार्यक्रम बन कर रह जाएगा और राहुल की पांच महीने की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *