Thursday

10-04-2025 Vol 19

राहुल के युवा कांग्रेसियों की आखिरी मंजिल भाजपा!

राहुल गांधी ने युवा नेताओं को आगे बढ़ाया और एक एक करके लगभग सारे युवा नेता भाजपा में चले गए। मनमोहन सिंह की दूसरी सरकार में राहुल ने 40 साल से कम उम्र के जितने नेताओं को मंत्री बनवाया था उनमें से एक दो को छोड़ कर बाकी सभी भाजपा में चले गए है या राजनीतिक रूप से निष्क्रिय है। इसके लिए राहुल गांधी की बड़ी आलोचना हुई हालांकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक पार्टी के पुराने नेताओं के बेटे बेटियों को आगे बढ़ाया था परंतु ऐसा नहीं है कि सिर्फ राहुल की टीम के नेताओं ने पाला बदला, सोनिया गांधी की टीम के दिग्गज नेताओं की भी आखिरी मंजिल भाजपा ही है।

शुरुआत कर्नाटक के दिग्गज एसएम कृष्णा ने की थी। उनके जीवन में जब कुछ भी बड़ा हासिल करने की संभावना खत्म हो गई थी तब 80 साल की उम्र में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी और भाजपा में चले गए थे। उससे पहले कांग्रेस ने उनको कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया था और बाद में केंद्र सरकार में मंत्री बनाया था। उनको विदेश मंत्री बनाया गया था, जबकि उन्होंने देश को शर्मिंदा करने वाला काम संयुक्त राष्ट्र संघ में किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब वे भाषण देने गए तो डायस पर पुर्तगाल के विदेश मंत्री के भाषण की कॉपी छूट गई थी, कृष्णा ने उसे ही भाषण पढ़ना शुरू कर दिया था। सोचें, वे भी भाजपा में गए और कुछ हासिल नहीं हुआ।

उसके बाद सोनिया और उनके दिवंगत पति राजीव गांधी के सबसे करीबी माने जाने वाले कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पाला बदला। पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर अलग पार्टी बनाई और बाद में पार्टी का विलय करके भाजपा में शामिल हो गए। पिछले तीन दशक में पंजाब में कांग्रेस को दो बार सरकार बनाने का मौका मिला और दोनों बार कांग्रेस ने उनको मुख्यमंत्री बनाया था। वे नौ साल मुख्यमंत्री रहे और हटते ही कांग्रेस छोड़ दी। गुलाम नबी आजाद भी कृष्णा और कैप्टेन के रास्ते पर हैं। उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई है लेकिन उनका भी अंतिम ठिकाना भाजपा ही होगी, चाहे जिस रूप में और जब हो।

हाल में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी भाजपा में शामिल हुए हैं। कांग्रेस ने किरण रेड्डी को जगन मोहन रेड्डी के ऊपर तरजीह दी थी। वे संयुक्त आंध्र प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने भी पहले कांग्रेस छोड़ कर अलग पार्टी बनाई। फिर कांग्रेस में वापस लौटे और अब भाजपा में चले गए हैं। ये चारों नेता कांग्रेस आलाकमान की कृपा से मुख्यमंत्री रहे हैं। कैप्टेन अमरिंदर सिंह की थोड़ी बहुत पकड़ जनता में थी लेकिन बाकी तीनों के पास वोट की कोई खास पूंजी नहीं थी। लेकिन आलाकमान का चहेता होने की वजह से आजाद, कृष्णा और किरण रेड्डी मुख्यमंत्री बने थे। बहरहाल, इन चार के अलावा भी कई चेहरे हैं, जो अभी सिर्फ इसलिए कांग्रेस से जुड़े हैं क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने उनके सामने सरेंडर किया है और उनके साथ में कमान सौंपी है, जिस दिन आलाकमान ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की उसी दिन वे आजाद, कैप्टेन, कृष्णा आदि की राह चल पड़ेंगे।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *