राज्यसभा में मनोनीत कोटे की दो सीटें खाली हैं। मनोनीत कोटे की 12 में से 10 सीटों पर नियुक्ति हो गई है। पिछले साल दक्षिण भारत के चार राज्यों से एक साथ चार लोग मनोनीत हुए थे। केरल से पीटी उषा, कर्नाटक से धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े, तमिलनाडु से इलैयाराजा और आंध्र प्रदेश से वी विजयेंद्र को मनोनीत किया गया। इनके अलावा पहली बार जम्मू कश्मीर की आरक्षित जनजाति समुदाय से एक व्यक्ति गुलाम अली को राज्यसभा में मनोनीत किया गया। ये पांचों नियुक्तियां सामाजिक व क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रख कर की गईं। सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता और स्वपन दासगुप्ता जैसे पत्रकार रिटायर हुए लेकिन उनका कोटा किसी नेता या पत्रकार से नहीं भरा गया।
बहरहाल, अब दो सीटें खाली हैं और एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। इन दो सीटों के लिए दर्जनों लोगों की दावेदारी है। केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के लिए घोषित या अघोषित रूप से सलाहकार का काम कर रहे कुछ पत्रकार उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार उनको मौका मिल सकता है। जिन राज्यों में इस साल चुनाव होने वाले हैं वहां के नेताओं या भाजपा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं की अलग उम्मीद है। दो तीन पूर्व अधिकारी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस सत्र से पहले अगर दोनों सीटों पर नियुक्ति नहीं होती है तो मामला मई तक टल सकता है। लेकिन फिर सब वही बात कहते हैं कि प्रधानमंत्री को छोड़ कर किसी को कोई अंदाजा नहीं है कौन मनोनीत होगा और कब होगा।