Friday

11-04-2025 Vol 19

खड़गे की सत्ता मजबूत होगी

कर्नाटक की चुनावी जीत का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को होगा। पार्टी में उनकी सत्ता मजबूत होगी। कांग्रेस उनके गृह प्रदेश कर्नाटक में चुनाव जीती है और बड़े शानदार तरीके से जीती है। इस जीत में उनका योगदान अहम है। 80 साल की उम्र के बावजूद खड़गे ने पूरे राज्य में सभाएं कीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे आक्रामक प्रचार खड़गे ने किया। उन्होंने अपने को कन्नड धरतीपुत्र बता कर वोट मांगा। अपनी पहचान पर वे दलित वोट कांग्रेस के साथ जोड़ने में सफल रहे। खड़गे ने अपनी पृष्ठभूमि का बार बार जिक्र किया और पिछड़े, वंचितों को यकीन दिलाया कि उनके हितों का कांग्रेस ख्याल रखेगी।

कर्नाटक चुनाव में हिंदुत्व का या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा ज्यादा सफल नहीं हुआ तो उसका एक बड़ा कारण यह था कि चुनाव के शुरुआत में ही कांग्रेस ने जातीय जनगणना और ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा दे दिया था। बताया जा रहा है कि पार्टी को इस लाइन पर लाने में खड़गे की अहम भूमिका थी। बिहार के मुख्मंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात में इस पर चर्चा हुई थी, जिसमें राहुल गांधी पहले बहुत इंटरेस्टेड नहीं थे। लेकिन खड़गे ने उनको इसके फायदे समझाए और नतीजा सबके सामने है।

खड़गे की टीम ने भी कर्नाटक के चुनाव में पूरी मेहनत की। उनके साथ नियुक्त किए गए चार समन्वयकों में से कम से कम तीन कर्नाटक में डेरा डाले रहे। राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन का गृह प्रदेश है कर्नाटक। उनके साथ साथ गुरदीप सप्पल और प्रणब झा लगातार कर्नाटक में बने रहे और खड़गे की रैलियों, भाषणों की योजना बनाई। मीडिया और सोशल मीडिया में इसे पर्याप्त प्रचार मिले इसका भी बंदोबस्त किया। उनके कन्नड में दिए भाषण का हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहुंचाया गया। एक तरह से खड़गे की टीम ने उनको नरेंद्र मोदी के मुकाबले खड़ा किया क्योंकि बाकी नेता सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर बोलते रहे।

बहरहाल, कर्नाटक की जीत का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि खड़गे अपनी पसंद से अपनी टीम बनाएंगे। वैसे भी कहा जा रहा है कि राहुल गांधी या सोनिया गांधी उसमें कोई दखल नहीं दे रहे हैं। फिर भी कर्नाटक की भारी भरकम जीत से खड़गे का खुद का भी आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। दूसरा फायदा यह होगा कि कांग्रेस की ओर से खड़गे ज्यादा अधिकारपूर्वक विपक्षी गठबंधन की बात कर पाएंगे। कर्नाटक की जीत ने उनका कद देश के किसी भी प्रादेशिक क्षत्रप से ऊंचा या कम से कम उसके बराबर जरूर कर दिया है। तीसरा फायदा यह होगा कि वे विपक्षी राजनीति की धुरी बन सकते हैं। उनकी कमान में कांग्रेस जीती है, वे छह दशक का अनुभव रखने वाले नेता हैं, दलित समुदाय से आते हैं और बेहद गरीब परिवार से भी आते हैं। देश का संभवतः कोई दूसरा विपक्षी नेता ऐसा नहीं है। सो, मोदी के मुकाबले खड़गे को आसानी से खड़ा किया जा सकता है।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *