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11-04-2025 Vol 19

कोश्यारी का जाना नवंबर में ही तय हो गया था

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की विदाई की पटकथा पिछले साल नवंबर में ही लिखी जा चुकी थी। उन्होंने जब छत्रपति शिवाजी को लेकर विवादित बयान दिया था उसी समय तय हो गया था कि भाजपा उनको पद पर बनाए नहीं रख सकती है। भाजपा जितने दिन तक उनको पद पर रखती उसको उतना ही नुकसान होता। इस बात का संकेत उनको भी मिलने लगा था तभी उन्होंने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर पद छोड़ने की पेशकश की। असल में उन्होंने मराठा गौरव और महाराष्ट्र की परंपरा, संस्कृति को चोट पहुंचाने वाले बयान दिए थे। इससे प्रदेश भाजपा के नेता और साथ ही सहयोगी पार्टी यानी शिव सेना के एकनाथ शिंदे गुट के नेता भी नाराज थे।

कोश्यारी ने पिछले साल नवंबर में एक कार्यक्रम में कह दिया कि छत्रपति शिवाजी पुराने आईकॉन हैं और नौजवानों को नए आईकॉन से प्रेरणा लेनी चाहिए। नए आईकॉन में उन्होंने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के साथ साथ नितिन गडकरी का भी नाम लिया। इस बयान का पूरे महाराष्ट्र में विरोध हुआ। इससे पहले उन्होंने महान समाज सुधारक सावित्री बाई फुले के बाल विवाह को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। फिर राजस्थानी समाज के एक कार्यक्रम में उन्होंने कह दिया था कि राजस्थान और गुजरात के लोग छोड़ कर चले जाएं तो मुंबई का सारा जलवा खत्म हो जाएगा। यह मराठी लोगों को गौरव को आहत करने वाली बात थी। वैसे वे पार्टी के बहुत काम आ रहे थे। सुबह छह बजे चोरी-छिपे मुख्यमंत्री पद की शपथ करानी हो या सरकार की ओर से विधान परिषद में मनोनयन के लिए भेजे गए नाम डेढ़ साल से ज्यादा समय तक लटकाए रखने का मामला हो, उन्होंने सारे काम किए। लेकिन अब उनके बयानों से पार्टी को वोट का नुकसान हो रहा था।

NI Political Desk

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