ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी का मतलब जयराम रमेश हो गया है। कांग्रेस की ओर से हर मसले पर वे बयान देते हैं। राजनीति से लेकर नीतिगत मसलों पर वे बोलते हैं। यह सही है कि वे कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे पार्टी का चेहरा हैं। भाजपा में भी पार्ट के मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और सह प्रभारी संजय मयूख हैं। भाजपा जैसी साधन संपन्न पार्टी के मीडिया प्रमुख और सह प्रमुख अपना चेहरा चमकाने की बजाय पार्टी का चेहरा चमकाते हैं। वहां राजनीतिक और नीतिगत बयान पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा ही दिया जाता है। पूरी मीडिया टीम की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को हाईलाइट करने की है।
लेकिन कांग्रेस में मीडिया विभाग का काम जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत को हाईलाइट करने का है। राहुल गांधी ट्विट करते हैं और एकाध जगह उनकी बात छप जाती या दिखा दी जाती है। लेकिन मीडिया टीम के सबका चेहरा दिन भर दिखता है। यह कांग्रेस में ही संभव है। पहले जब रणदीप सुरजेवाला संचार विभाग के प्रभारी थे तो हर जगह उनका चेहरा दिखता था और अब जयराम रमेश का दिखता है। रमेश ही कांग्रेस महाधिवेशन के बारे में बोलेंगे, सीडब्लुसी को लेकर बोलेंगे, अदानी मामले में प्रधानमंत्री से सवाल पूछेंगे, नगालैंड में पार्टी के प्रचार के बारे में बोलेंगे, कुल मिला कर हर जगह सिर्फ रमेश दिखेंगे। सोचें, इसका कांग्रेस को क्या फायदा है? रमेश को चुनाव भी नहीं लड़ना है फिर भी हर जगह वे दिखेंगे। कायदे से जिन नेताओं को चुनाव लड़ना है या जनता के बीच जिनके चेहरे का मतलब है उनको दिखाना चाहिए।