रूस से खरीदे गए हथियारों की कीमत का भुगतान करने के रास्ते भारत सरकार खोज रही है। अमेरिका और यूरोपीय संघ की ओर से लगाई गई पाबंदी की वजह से भारत को भुगतान करने में दिक्कत हो रही है। यह एक तकनीकी मामला है, जिसका समाधान निकल जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि यूक्रेन पर रूस के हमले और उस पर लगी पाबंदियों की वजह से भारत को बहुत फायदा हो रहा है। भारत की तेल कंपनियां रूस के सस्ते तेल से अपना खजाना भर रही हैं। रूस से सस्ता तेल खरीद कर दुनिया के देशों को महंगा बेचा जा रहा है। हालांकि इसका कोई फायदा घरेलू उपभोक्ताओं को नहीं हो रहा है। किसी तेल कंपनी ने कीमतें नहीं घटाई हैं।
बहरहाल, अमेरिका और यूरोप ने रूस पर जो पाबंदी लगाई है उसके मुताबिक अमेरिका और यूरोपीय संघ के देश रूस से कच्चा तेल या गैस नहीं खरीद रहे हैं। लेकिन अगर कोई दूसरा देश कच्चा तेल खरीदता है और उसे रिफाइन करके बेचता है तो उसे ये देश खरीद सकते हैं। उस पर पाबंदी लागू नहीं होती है। सो, भारत की तेल कंपनियां रूस से सस्ता तेल खरीद रही हैं और रिफाइन करके अमेरिका और यूरोप को बेच रही हैं। इस साल जनवरी में भारत ने हर दिन औसतन 89 हजार बैरल गैसोलिन और डीजल न्यूयॉर्क भेजा है। इसके अलावा जनवरी में हर दिन औसतन एक लाख 72 हजार बैरल लो सल्फर डीजल भेजा यूरोप को भेजा है।