Saturday

01-03-2025 Vol 19

ईवीएम पर विपक्ष कितना गंभीर?

इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन, ईवीएम को लेकर विपक्षी पार्टियों की दो बैठकें हुई हैं। एक कांग्रेस की पहल पर हुई थी और दूसरी एनसीपी नेता शरद पवार की पहल पर हुई। दोनों बैठकों में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह अहम थे। पवार के घर पर हुई बैठक के बाद भी उन्होंने ही मीडिया से बातचीत की थी। उन्होंने इलेट्रोनिक डिवाइसेज के तकनीकी जानकारों के साथ भी बैठक करके इसकी तकनीक को समझा और मीडिया को समझाया है। चुनाव आयोग से भी विपक्षी पार्टियों के नेता शिकायत कर चुके हैं। रिमोट ईवीएम का तो विपक्ष ने खुल कर विरोध किया ही है कि ईवीएम में भी गड़बड़ी की संभावना के सबूत जुटाए हैं।

शरद पवार के घर पर कोई एक दर्जन विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीन नहीं है। यानी ऐसा नहीं है कि वह बिल्कुल अलग थलग एक मशीन है और उसका किसी दूसरी मशीन से लिंक नहीं है। उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह इंटरनेट से डाले जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इसी तरह पहले कहा गया था कि ईवीएम के चिप एक ही बार इस्तेमाल होते हैं लेकिन अब उन्हें कई बार प्रोग्राम किए जाने की खबर है यानी ये चिप मल्टी प्रोग्रामेबल हैं। इस आधार पर विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर कोई भी मशीन इंटरनेट से जुड़ी है तो उसे रिमोटली यानी कहीं दूर बैठ कर हैंडल किया जा सकता है।

अब सवाल है कि ईवीएम को लेकर विपक्षी पार्टियां कितनी गंभीर हैं? क्या वे इसे लेकर सिर्फ संदेह पैदा करने का काम कर रही हैं या इसके खिलाफ कोई निर्णायक लड़ाई करनी है? ऐसा नहीं हो सकता है कि विपक्ष को जब फुरसत मिले तो वह ईवीएम पर सवाल उठाए और फिर राजनीति में लग जाए। इससे आरोपों की गंभीरता कम होती है। फर्ज कीजिए अगर कांग्रेस कर्नाटक में जीत जाती है तो क्या वह ईवीएम पर सवाल उठाना बंद कर देगी? इस बारे में विपक्ष को अपनी रणनीति तय करनी होगी।

NI Political Desk

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