बिहार में चल रही जाति जनगणना रूक गई है। पटना हाई कोर्ट की एक बेंच ने यह कहते हुए इस पर अंतरिम रोक लगा दी कि जनगणना कराने का अधिकार राज्यों को नहीं है। उसके बाद हाई कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की। बिहार सरकार ने अंतरिम रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस बीच बिहार में बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दरबार लगा और हनुमत कथा हुई। इसमें धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की शुरुआत बिहार से होगी। यह बात उन्होंने धार्मिक कार्यक्रम में कही और धर्म के हिसाब से कही लेकिन इसका राजनीतिक नैरेटिव बहुत साफ है।
एक तरफ सारा देश यह देख रहा है कि एक बार फिर बदलाव की शुरुआत बिहार से हो रही है। केंद्र के विरोध के बावजूद जाति जनगणना का फैसला बिहार सरकार ने किया। सामाजिक समीकरण के नाम पर नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ कर राजद के साथ सरकार बनाई। उसके बाद सरकार ने अपने पैसे से जाति जनगणना का फैसला किया, जिसका दूसरा चरण चल रहा था। जातियों की गिनती और हर जाति को उसकी आबादी के अनुपात में आरक्षण देने का विचार बिहार से निकल कर देश भर में फैल रहा है और अब तक इसके खिलाफ रही कांग्रेस भी इसका समर्थन कर रही है। तो दूसरी ओर भाजपा ने कथित तौर पर चमत्कार करने वाले एक बाबा को उतार दिया, जो हिंदू राष्ट्र की शुरुआत बिहार से होने की बात कर रहे हैं।
असल में भाजपा को लग रहा है कि जातीय आधार पर अगर हिंदू समाज बंटता है तो धर्म का नैरेटिव कमजोर पड़ेगा। बिहार में भाजपा 2015 के विधानसभा चुनाव में इसे देख चुकी है। इसलिए ऐसा लग रहा है कि अगले साल होने वाले चुनाव से पहले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को उतारा गया है, जो अब तक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सक्रिय थे। पटना से सटे नौबतपुर के तरेत पाली मठ में पांच दिन का उनका दरबार लगा और उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे सितंबर के आखिरी हफ्ते में गया में दरबार लगाएंगे। उनके हवाईअड्डे पर उतरने से लेकर पांच दिन की हनुमत कथा में भाजपा के नेताओं की जैसी सक्रियता रही उससे भी कार्यक्रम के वास्तविक मकसद का कुछ अंदाजा हुआ।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे, दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, पटना के सांसद रामकृपाल यादव जैसे तमाम भाजपा के नेता धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के स्वागत में और उनके कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे रहे। जाति की एकजुटता को तोड़ने या कमजोर करने के लिए हिंदू राष्ट्र का प्रचार शुरू किया गया है। हालांकि भाजपा कर्नाटक में बजरंग बली की जय बोल कर चुनाव जीतने में नाकाम रही है फिर भी बिहार में बागेश्वर बाला जी यानी हनुमान जी के नाम पर सामाजिक समीकरण बदलने का प्रयास शुरू हो गया है। जिस तरह की भीड़ धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में जुटी उसने निश्चित रूप से सत्तारूढ़ गठबंधन को चिंता में डाला होगा।