जम्मू कश्मीर के राजौरी में सेना के काफिला पर हुए आतंकवादी हमले के बाद एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना बढ़ गई है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में लगातार मुठभेड़ हुई है और सेना के अधिकारी व जवान शहीद हुए हैं लेकिन गुरुवार को राजौरा के सुरनकोट इलाके में हुई मुठभेड़ उनसे अलग है। आतंकवादियों ने घात लगा कर सेना के काफिले पर हमला किया था। दो गाड़ियों को निशाना बनाया गया था। हमले के तुरंत बाद सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला लेकिन आमने सामने की फायरिंग शुरू होने के साथ ही सेना के कम से कम छह जवानों को गोली लग चुकी थी, जिनमें से तीन की तुरंत मौत हो गई थी और दो जवानों ने बाद में दम तोड़ा। इससे पहले भी एक मुठभेड़ में सेना और पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों सहित पांच जवान शहीद हुए थे।
इस हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की संभावना के कई संकेत मिल रहे हैं। पहला संकेत तो जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक एसपी वैद्य ने दिया। जब मुठभेड़ चल ही रही थी तभी उन्होंने कहा कि यह हमला बहुत सुनियोजित था और पाकिस्तान ने इस हमले को अंजाम दिया है। आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ को सीधे पाकिस्तान के साथ जोड़ना मामूली बात नहीं है। हालांकि लश्कर ए तैयबा से जुड़े एक संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है लेकिन अब पाकिस्तान का नाम इससे जुड़ चुका है। दूसरा संकेत यह है कि इस घटना से तीन दिन पहले ही सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकार ने कहा कि सीमा के उस पार आतंकवादी लॉन्चपैड पर ढाई सौ से तीन सौ आतंकवादी भारत की सीमा में घुसपैठ करने के लिए बैठे हैं। ध्यान रहे सर्दियों के इस मौसम में ही सीमा पार से सबसे ज्यादा घुसपैठ की कोशिश होती है। अगर उस पार तीन सौ आतंकवादी बैठे हैं और सेना के पास खुफिया सूचना है तो निश्चित रूप से कार्रवाई संभव है।