सोनिया गांधी, राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। दिल्ली के राजनीतिक हलके में कुछ बड़ा होने की चर्चा तेज है। कहा जा रहा है कि कुछ बड़ी गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि सोनिया और राहुल गांधी को लेकर अब भी संशय है। भाजपा के नेता भी मान रहे हैं कि अगर कांग्रेस संसदीय दल की नेता 78 साल की सोनिया गांधी को या लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को गिरफ्तार किया गया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर सरकार की बदनामी होगी, देश की भी बदनामी होगी और घरेलू राजनीति में कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
तभी क्या रॉबर्ट वाड्रा बलि का बकरा बनेंगे? उनका मामला जमीन से जुड़ा है और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इसमें लपेटे में आएंगे। उन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते वाड्रा की कंपनी को जमीन दी और फायदा पहुंचाया। ईडी का आरोप है कि वाड्रा ने करीब सात करोड़ की जमीन चार साल के बाद 58 करोड़ में बेची थी।
दूसरी ओर नेशनल हेराल्ड का मामला है, जिसके बारे में कांग्रेस का कहना है कि वह कांग्रेस पार्टी की ही संपत्ति थी, जिसे एक ट्रस्ट से दूसरे ट्रस्ट को ट्रांसफर किया गया और पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ। आम लोगों के लिए पांरपरिक परिभाषा से यह भ्रष्टाचार का मामला नहीं है। लेकिन इस मामले में याचिका दायर करने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी बहुत सक्रिय हैं। वे कह रहे हैं कि इस मामले में आरोपी नंबर एक और आरोपी नंबर दो यानी सोनिया और राहुल गांधी की गिरफ्तारी होनी चाहिए।
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राहुल गांधी पर ईडी कार्रवाई: कांग्रेस की रणनीति पर असर
उन्होंने धनशोधन कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा है कि गिरफ्तारी स्वाभाविक रूप से हो जानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों की गिरफ्तारी रुकवाई है और अगर हां तो मोदी की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए। यह बात उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखी है। ध्यान रहे उन्हीं की याचिका पर ईडी ने कार्रवाई की है। यह पहला मौका है, जब एक निजी व्यक्ति की याचिका पर निचली अदालत ने संज्ञान लिया और ईडी ने कोई कार्रवाई की।
सवाल है कि यह याचिका 2012 में दायर की गई थी और कोई तीन साल पहले 2022 में सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ हुई थी, वाड्रा से तो कई बरसों से पूछताछ हो रही है, लेकिन ईडी अब क्यों सक्रिय हुई है? कांग्रेस का कहना है कि अगर अभी ईडी आरोपपत्र दाखिल नहीं करती तो कोर्ट इस केस को खारिज कर देती। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला था। जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की पिछले चार महीने की सक्रियता ने भाजपा को चिंता में डाला है।
संगठन को मजबूत करने की कवायद, बहुजन राजनीति, गुजरात में राहुल गांधी की सक्रियता और एक साल में बिहार सहित छह राज्यों के विधानसभा चुनावों की वजह से राहुल गांधी को उलझाने का प्रयास तेज हुआ है। जाहिर है कि अगर राहुल गांधी मुकदमे में उलझ जाते हैं और उनके ऊपर कोई कार्रवाई हो जाती है तो कांग्रेस का मोमेंटम बिगड़ जाएगा। इससे चुनाव तैयारियों से ध्यान हटेगा और कानूनी लड़ाई पर ध्यान केंद्रित होगा। राहुल गांधी चाहे कुछ भी कहें लेकिन हकीकत यह है कि, डर सबको लगता है।
Pic Credit : ANI