Waqf Board कानून में बदलाव के लिए लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक का क्या होगा? यह बड़ा सवाल है क्योंकि विपक्षी पार्टियां भले इस बात से खुश हों कि उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से इस बिल पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने का अनुरोध किया है और उन्होंने बढ़ा दिया। असल में जेपीसी का कार्यकाल दूसरे कारणों से बढ़ा है। दिखाया यह जा रहा है कि जेपीसी के प्रमुख भाजपा सांसद जगदंबिका पाल रिपोर्ट तैयार कर रहे थे और 29 नवंबर को स्पीकर को सौंपने वाले थे लेकिन उससे पहले विपक्षी पार्टियों के अनुरोध पर जेपीसी का कार्यकाल संसद के अगले सत्र यानी बजट सत्र के आखिरी दिन तक बढ़ा दिया गया। इसका मतलब है कि यह बिल कम से कम अप्रैल तक टला रहने वाला है।
गौरतलब है कि संसद का बजट सत्र जनवरी के आखिरी हफ्ते में शुरू होगा और एक फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। उसके बाद बजट सत्र का पहला हिस्सा फरवरी के दूसरे हफ्ते तक चलेगा और फिर एक महीने का अवकाश होगा। उसके बाद बजट सत्र का दूसरा हिस्सा मार्च में होली के बाद शुरू होगा और करीब एक महीने तक यानी अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक चलेगा। निश्चित तारीखों का पता तो अगले साल जनवरी के तीसरे हफ्ते में ही पता चलेगा लेकिन जो परंपरा है उसके मुताबिक बजट सत्र 10 से 15 अप्रैल के बीच खत्म होगा। तब तक वक्फ बोर्ड में बदलाव का कानून बनाने के लिए लाया गया बिल रूका रहेगा।
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उसके बाद भी बिल का क्या होगा, यह नहीं कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भाजपा के घटक दलों के बीच या अब तक तटस्थ रही पार्टियों में इसका विरोध बढ़ रहा है। वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी ने वक्फ बोर्ड बिल का विरोध करने का ऐलान किया है। इससे भाजपा की बड़ी सहयोगी पार्टी टीडीपी के लिए समस्या होगी। वैसे भी टीडीपी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू मुस्लिम वोट अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं। तभी वे कई मसलों पर केंद्र सरकार या भाजपा से अलग रुख रखते हैं। वाईएसआर कांग्रेस के विरोध के बाद टीडीपी के लिए दुविधा की स्थिति होगी। वे खुल कर इसका समर्थन नहीं कर पाएंगे। यही स्थिति महाराष्ट्र में हो सकती है। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद एकनाथ शिंदे क्या रुख अख्तियार करेंगे यह कोई नहीं कह सकता है।
नायडू और शिंदे के 24 सांसद हैं। बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार तो हमेशा यह दावा करते हैं कि भाजपा के साथ होने के बावजूद मुस्लिम उनको वोट करते हैं और वे मुसलमानों के लिए भी बहुत काम करते हैं। उनके 12 सांसद हैं। चिराग पासवान की पार्टी भी बिल को लेकर दुविधा में है। उनके पांच सांसद हैं। गौरतलब है कि लोकसभा में नरेंद्र मोदी की सरकार को 21 सांसदों का बहुमत है। ऐसे में अगर 41 सांसदों वाली चार पार्टियां यानी टीडीपी, जदयू, लोजपा और शिव सेना दबाव बनाते हैं तो सरकार के लिए Waqf Board बिल पर आगे बढ़ना मुश्किल होगा।