भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए को पहली बार राज्यसभा में बहुमत के बिल्कुल करीब पहुंच गई है। लगातार दो बार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने और कई राज्यों में भाजपा व सहयोगी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद एनडीए को बहुमत नहीं मिल पा रहा था। भाजपा इस मामले में दो मुकाम हासिल करने के प्रयास कर रही थी। उसका पहला प्रयास यह था कि उच्च सदन में उसके सांसदों की संख्या तीन अंकों में पहुंचे यानी सौ से ऊपर जाए और दूसरा प्रयास था एनडीए को बहुमत दिलाना। उच्च सदन की मौजूदा संख्या के लिहाज से एनडीए बहुमत से सिर्फ एक सीट कम है और किसी भी समय भाजपा के सांसदों की संख्या एक सौ का आंकड़ा पार कर सकती है।
मंगलवार, 27 अगस्त को हुए उपचुनाव में भाजपा के नौ सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं, जिसके बाद उसके सांसदों की संख्या 96 पहुंच गई है। इस समय राज्यसभा में मनोनीत श्रेणी के चार सदस्यों के पद खाली हैं। किसी भी समय चार सीटों के लिए नाम तय हो सकते हैं। जिन सदस्यों के रिटायर होने से ये पद खाली हुए हैं वे सभी शपथ लेने के बाद भाजपा के सदस्य बन गए थे। अगर मनोनीत होने वाले नए सदस्य इसी रास्ते पर चलते हैं तो भाजपा के सांसदों की संख्या सौ पहुंच जाएगी। भाजपा के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा। इसके अलावा भी भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है। जैसे जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव होंगे। अगर भाजपा पिछली बार का प्रदर्शन भी दोहराए यानी उसे 25 सीटें मिलें तब भी वह कम से कम एक राज्यसभा सीट जीतेगी। कहा जा रहा है कि ओडिशा में बीजू जनता दल की ममता मोहंता की तरह एक दो और राज्यसभा सांसद इस्तीफा दे सकते हैं। उधर आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों में से भी कुछ भाजपा के संपर्क में हैं।
बहरहाल, भाजपा के अपने सांसदों की संख्या 96 हो जाने के साथ ही एनडीए राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच गया है। ध्यान रहे इस समय राज्यसभा में मनोनीत श्रेणी की चार और जम्मू कश्मीर की चार सीटें खाली हैं। इस तरह राज्यसभा 237 सदस्यों की है, जिसमें बहुमत का आंकड़ा 119 का है। भाजपा के 96 सदस्यों के साथ आठ मनोनीत सांसद हैं, जिनमें से दो भाजपा के साथ हैं। इनके अलावा जनता दल यूनाइटेड के पांच, जनता दल सेकुलर का एक, शिव सेना के दो व एनसीपी के दो के अलावा असम गण परिषद, आरपीआई, रालोद, एनपीपी, तमिल मनीला कांग्रेस, पीएमके और यूपीपी के एक एक सांसद हैं। इस तरह संख्या 115 पहुंच जाती है। इसके अलावा तीन निर्दलीय सांसद हैं, जो भाजपा के साथ हैं। यानी एनडीए का आंकड़ा 118 है और चार मनोनीत सांसदों के आते ही वह बहुमत का आंकड़ा पार कर सकता है।
भाजपा सांसदों की संख्या एक सौ पहुंचने और एनडीए के बहुमत हासिल करने का एक बड़ा मतलब तो यह है कि केंद्र सरकार को विधेयक पास कराने के लिए वाईएसआर कांग्रेस या बीजू जनता दल की जरुरत नहीं पड़ेगी। इन दोनों पार्टियों ने पिछले 10 साल में भाजपा की बड़ी मदद की। माना जा रहा है कि सरकार ने इसी का इंतजार करने के लिए वक्फ बोर्ड के बिल को संयुक्त संसदीय समिति में भेजा। अब इस बिल को पास कराने में उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा भी कई विवादित विधेयक हैं, जिन पर विपक्ष आपत्ति करता रहा है। उन्हें पास कराने में भी सरकार को भी मुश्किल नहीं आएगी।